अनिल तिवारी
जैसा कि अपेक्षित था झूठ और फरेब की सरकार ने कल मतगणना में भी धांधली, जालसाजी और अपारदर्शिता का भरपूर उपयोग किया। मुंबई में शिवसेना के विजयी उम्मीदवार को दोबारा मतगणना करके हारा हुआ घोषित कर दिया गया। इस तरह की तमाम अन्य घटनाएं भी कल देशभर में देखने को मिलीं, जहां विपक्षी पार्टियों के जीत रहे सांसदों की आंख में धूल झोंककर या तो हारा हुआ घोषित किया गया या उनके क्षेत्रों की मतगणना धीमी कर दी गई। समाजवादी पार्टी ने इस पर खुलकर आरोप लगाया। कुछ अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी इसका जमकर विरोध किया, परंतु ज्यादातर मामलों में प्रशासन ने इसकी कोई सुध नहीं ली।
मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विजयी उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को कल भारी दबाव के बीच दोबारा मतगणना कराकर मात्र ४८ वोटों से हारा हुआ साबित कर दिया गया। इसी तरह यूपी की बांसगांव लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद को हराने के लिए ९०० वोट अवैध घोषित करके उन्हें अचानक ११० वोटों से हारा हुआ घोषित कर दिया गया, जिससे उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए आत्मदाह की धमकी दे डाली। उन्हें पुनर्मतदान की मांग पर अड़ गए। उत्तर प्रदेश से लेकर असम, बिहार और महाराष्ट्र सहित दक्षिण के कई राज्यों से ऐसी खबरें सुनने को मिलीं, जहां प्रशासन ने भाजपा को लाभ पहुंचाने के भरसक प्रयास किए।
उल्लेखनीय है कि इस बार लोकसभा चुनाव जीतने के लिए नई भाजपा ने येन-केन प्रकारेण हर प्रयास किए। अराजकता का सहारा लिया। तानाशाही से काम किया। झूठ बेचा, जुमले दागे। खरीद-फरोख्त की। चंदे का घोटाला किया। कांग्रेस जैसी मुख्य विपक्षी पार्टी के खाते सील किए, जुर्माना लगाया, केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया। ईडी, सीबीआई, आईटी से दबाव बनवाया, चुनाव आयोग से मनचाहे फैसले करवाए, दमन किया, गोदी मीडिया का भरपूर उपयोग किया। भ्रम फैलाया। आईटी सेल से लोगों का चरित्र हनन किया। मतदान के बाद मतदान प्रतिशत बढ़वाया। ईवीएम पर प्रश्न उठे। पार्टियां तोड़ी, उनके चिह्न चुराए। अपने पावर का दुरुपयोग किया, धूर्तता की, वो हर संभव काम किया जो अनैतिक था, अराजकतापूर्ण था और नीति संगत नहीं था। लोकतंत्र की हत्या था। संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ था। बावजूद इसके भाजपा जब अपने बूते पर बहुमत हासिल नहीं कर सकी तो कल मतगणना में भी जमकर धांधली की गई। जीते हुए विपक्ष के उम्मीदवारों को परेशान किया गया। जहां करीबी मामला था, वहां सीट छीन ली गई। जिससे विपक्षी पार्टियों में भारी नाराजगी है, जिसका असर आनेवाले समय में देखने को मिल सकता है। राजनैतिक धौंस और जांच एजेंसियों के अनैतिक शिकंजे का पर्दाफाश हो गया।