राज्य बाल संरक्षण आयोग का शिक्षा विभाग को आदेश
सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर के एक निजी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक द्वारा अपनी ही कक्षा की एक छात्रा के साथ दुर्व्यवहार की घटना ने सनसनी पैâला दी थी। इस वाकए के सामने आने के बाद राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जांच शुरू की। जांच में पता चला था कि संबंधित स्कूल अवैध था। राज्य में इस तरह के बड़ी संख्या में स्कूल संचालित हो रहे हैं। इससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। ऐसे में इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने शिक्षा मंत्रालय को लिखित तौर पर सख्त आदेश दिया है कि राज्य के सभी अवैध स्कूलों का सर्वेक्षण करके उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए। साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि कार्रवाई करते समय उसमें पढ़ रहे छात्रों का पुनर्वास भी किया जाए।
उल्लेखनीय है कि बदलापुर- पश्चिम के एक निजी स्कूल में एक १४ वर्षीय छात्रा के साथ एक शिक्षक द्वारा दुर्व्यवहार की घटना पिछले हफ्ते सामने आई थी। छात्रा ने इसकी शिकायत अपने माता-पिता से की, जिसके बाद माता-पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया और उस पर पॉक्सो और एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले की गंभीरता से जांच की और पाया कि यह स्कूल अवैध था। इस स्कूल को केवल पहली कक्षा तक पढ़ाने की अनुमति थी। लेकिन वहां दसवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ रहे थे। स्कूल के अवैध होने के कारण वहां पढ़ रहे अन्य छात्रों और उनके माता-पिता के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया था। हालांकि, छात्रों की शिक्षा को नुकसान पहुंचाए बिना महिला व बाल विकास विभाग, पुलिस प्रशासन और शिक्षा विभाग ने स्कूल के छात्रों के माता-पिता के साथ बैठक की। इस बैठक में दूसरी से दसवीं कक्षा तक के सभी छात्रों को शहर के एक मान्यता प्राप्त स्कूल में दाखिला दिलाया गया। साथ ही संबंधित स्कूल को बंद कर दिया गया।
छात्रों की शिक्षा और सुरक्षा के लिए घातक अवैध स्कूल
आयोग की ओर से कहा गया है कि राज्य में चल रहे अवैध स्कूलों की वजह से छात्रों की शिक्षा और सुरक्षा खतरे में पड़ रही है। इस पृष्ठभूमि में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षण मंत्रालय से अनधिकृत स्कूलों की गंभीरता से जांच करने और उन पर तुरंत कार्रवाई करने की बात कही है।