-सरकार को सिर्फ टोल टैक्स से मतलब
-खराब सड़कों पर होते हैं ज्यादा एक्सीडेंट
द्रुप्ति झा / मुंबई
हिंदुस्थान की खराब सड़कें आतंकवादियों से भी ज्यादा खतरनाक हो गई हैं। हर साल देश में सड़क हादसों के कारण १५ लाख से भी ज्यादा मौतें हो रही हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी हमेशा नई सड़कें बनाने का दावा करते रहते हैं, पर जिन पुरानी सड़कों की हालत खराब है, उनके विषय में कुछ भी नहीं कहते। सड़क हादसों का एक प्रमुख कारण टूटी और खराब सड़कें भी हैं।
बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार, बताया गया है कि जितने लोग आतंकवादी हमले में नहीं मरते, उससे ज्यादा लोग रोड एक्सीडेंट में मारे जाते हैं। देश की सड़कों पर चलना मतलब जान हथेली पर लेकर चलने जैसा है। सड़क हादसों से होने वाली मौतों के मामले में हिंदुस्थान पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है। खुद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले १० साल (२०१४-२०२३) में सड़क हादसों में करीब १५.३ लाख लोगों ने जान गंवाई है। यह चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेश की कुल आबादी से भी ज्यादा है।
बढ़ रही है सड़क हादसों
में मरनेवालों की संख्या!
सरकार दुर्घटनाओं के प्रति उदासीन
देश में सड़क हादसों में मरनेवाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। २००४-२०१३ के १० वर्षों के दौरान, देश में सड़क हादसों की वजह से १२.१ लाख लोगों की मौत हुर्ई थी। इसके बाद के १० वर्षों में यह संख्या बढ़कर १५ लाख से भी ज्यादा हो गई। यह आंकड़ा खुद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का है। बता दें कि हर १० हजार किलोमीटर पर सड़क हादसों में जितने लोग हिंदुस्थान में जान गंवाते हैं, दूसरे देशों में उसका आधा भी नहीं है।
इस संवाददाता को एक ऐसा परिवार मिला, जिसका एकमात्र कमानेवाले सदस्य बसंत सहानी को सितंबर २०२५ में वसई फाटा हाइवे पर एक टैंकर ने कुचल दिया। उस हादसे में वसंत सहानी ने अपना एक पैर खो दिया। अब सहानी घर पर बैठे डिप्रेशन के शिकार हो चुके हैं। परिवार के लिए घर चलाना मुश्किल हो चुका है।
विकसित देशों में विशेष लेन
दुनिया के कई विकसित देशों में इमरजेंसी सेवाओं (जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस) के लिए रोड पर विशेष लेन होती हैं। इनमें जर्मनी में रेस्क्यू लेन का कॉन्सेप्ट है। इसी तरह स्वीडन और नॉर्वे, जापान, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में इमरजेंसी सेवाओं के लिए सड़क पर अलग से व्यवस्था रहती है।
मदद नहीं मिली
पीड़ित बसंत के बेटे बिपिन सहानी ने बताया कि इस एक्सीडेंट के बाद हमें किसी तरह की मदद नहीं मिली। न तो मौके पर वहां कोई ट्रैफिक पुलिस थी, न दूर-दूर तक किसी एंबुलेंस का पता था। एक्सीडेंट के बाद टैंकर वाला भाग गया।
इमरजेंसी लेन नहीं है
हाईवे पर इमरजेंसी लेन होना चाहिए, ताकि दुर्घटना या किसी और तरह की परेशानी में फंसे लोगों को तुरंत मदद मिल सके। लेकिन महाराष्ट्र और मुंबई में इस तरह की इमरजेंसी लेन का कोई प्रावधान ही नहीं है, जिससे मामला काफी खराब हो जाता है।
-सुरेशचंद्र राजहंस, (प्रवक्ता, कांग्रेस)