उमेश गुप्ता / वाराणसी
30 जनवरी को साझा संस्कृति मंच के ओर से राजनारायण पार्क बेनियाबाग़ पर महात्मा गांधी के 77वें शहादत दिवस पर गांधीजनों का जुटान हुआ। साझा संस्कृति मंच के आह्वान पर शहर के गांधीजन सामाजिक कार्यकर्ता जुटे और बापू के चित्र को रखकर श्रद्धांजलि व्यक्त किया।
सभा में बापू के जीवन से जुड़े प्रसंगो का पथ किया गया और अहिंसा प्रेम भाईचारे स्वच्छता, स्वराज, कृषि, खादी, स्वास्थ्य, सत्य, आधुनिकता इत्यादि पर आज 2025 में इंसानी सभ्यता के सामने खड़ी चुनौतियों से हम कैसे सामना करें विषयक चर्चा हुई। वक्ताओं ने रोचक प्रसंग सुनाए। बापू के बनारस यात्रा को लेकर संस्मरण बताए गए कि 25 अक्तूबर 1936 को भारत माता मंदिर के उद्घाटन समारोह में बापू ने कहा था कि जिस माता ने हमें जन्म दिया, वह कुछ ही वर्ष जीवित रहेंगी, किंतु धरती माता तो सदैव हैं। उसी माता का अंश भारत माता है, जिसका मानचित्र आज वेद मंत्रों से पुनीत हुआ। उद्घाटन समारोह में खान अब्दुल गफार खां, सरदार पटेल, शिवप्रसाद गुप्त, भगवान दास समेत राष्ट्रीय आंदोलन के कई दिग्गज मौजूद थे। देश भर में अपने आप में अकेले अनूठे भारत माता मंदिर परिसर को रोपवे की जद में लेकर उसके सौंदर्य और आभा को चोट पंहुच रही है, ये दुःख का विषय है।
आचार्य कृपलानी काशी हिंदू विश्वविद्यालय छोड़कर काशी विद्यापीठ में आचार्य बने। उसी यात्रा के बीच उन्होंने गांधी जी से पूछा कि आगे क्या करना है। गांधी जी ने कहा कि कहीं बैठ जाओ और चरखे का काम संगठित रूप से करो। इस तरह के संवाद में देश के पहले खादी आश्रम की नींव बनारस में ही पड़ी।
अंतिम बार बापू बीएचयू के रजत जयंती समारोह में 21 जनवरी 1942 को काशी आए थे। आश्चर्य का विषय है कि बीएचयू में स्थित एकमात्र खादी आश्रम पर ताला जड़ा जा चूका है।
वक्ताओं ने गांधियन मूल्यों और स्मारकों के नष्ट होने पर बात रखी। सर्व सेवा संघ राजघाट परिसर में बापू जेपी विनोबा आदि से जुड़ी स्मृतियां थी। परिसर को बुलडोजर चला के ध्वस्त कर दिया गया। रोहनिया सड़क पर बापू चौरा और मूर्ति थी। सड़क चौड़ीकरण में बापू स्मारक को तोड़ दिया गया आदि मर्माहत करने वाले विषय उठाए।
आज जब चंहुओर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजे जा रहे हैं, तब हत्या से तीन दिन पहले बापू दिल्ली में जो कर रहे थे, वो अंधेरे में इंसानी रोशनी दिखाता है। 27 जनवरी 1948 को गांधीजी सूफी हजरत बख़्तियार काकी की दरगाह गए थे। जहां पर कुछ उपद्रवियों ने दरगाह और को नुक़सान पहुंचाया था। इससे पहले गांधी जी ने 18 जनवरी को अपने जिंदगी का आखिरी 6 दिनी उपवास इस शर्त पर खत्म किया था कि हिंदू और मुसलमान आपस में सौहार्द से रहेंगे और हिंदू समुदाय के उपद्रवियों ने जिन मस्जिदों और दरगाहों को नुकसान पहुंचाया है, उसका पश्चाताप करते हुए मस्जिद दरगाहों की मरम्मत के करेंगे और मस्जिदों को वापस लौटाएंगे। इसी क्रम में दिल्ली की करीब 117 मस्जिदों को वापस मुसलमानों के हवाले किया गया था।
सर्वधर्म प्रार्थना सभा और बापू के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेणे कहिए, रघुपति राघव राजाराम आदि का पाठ प्रेरणा कला मंच की रंगकर्मी टीम ने किया। बापू के गोली लगने के समय 5 बजकर 17 मिनट पर मौन रहकर श्रद्धांजलि व्यक्त की गयी।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से रवि शेखर, जागृति राही, पारमिता , एकता, राम धीरज, डॉ. अनूप, नीति, श्रेया, एसपी राय, टैंन, प्रमोद, रामजनम, अशोक भारत, विद्याधर, चेखुर प्रजापति, डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी, मनीष शर्मा, फा आनंद, अब्दुल्लाह, धनञ्जय, संजीव सिंह, कुंवर सुरेश सिंह, उर्फी, जावेद, श्रेया, रामचंद्र, बृजेश, आशुतोष, ज्योति आदि गांधीजन शामिल रहे।
डर्बीशायर क्लब द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 77वीं पुण्यतिथि राज नारायण पार्क बेनिया बाग उनके चबूतरे पर मनाया गया। क्लब अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने बताया कि आज ही के दिन 30 जनवरी 1948 को उनको गोली मारकर हत्या की गई। इसी गांधी चबूतरे पर उनकी अस्थि कलश यहां पर रखकर और तमाम चाहने वालों ने नम आंखों से अस्थि कलश को विदा किया उसे वक्त के महान पुरुष लाल बहादुर शास्त्री जी डॉक्टर संपूर्णानंद पंडित कमलापति त्रिपाठी मौजूद थे। इस शहादत दिवस के कार्यक्रम में हैदर, धीरज यादव, रामकिशोर चिंतित बनारसी, रशीद शेख, राम रस माली, महादेव माली मोहम्मद इस्लाम आदि शामिल थे।