धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
विधानमंडल के बजट सत्र के आखिरी दिन यानी कल शिंदे गुट के दो विधायकों के बीच विधानभवन में गैंगवॉर देखने को मिला। कर्जत के विधायक महेंद्र थोरवे राज्य के सार्वजनिक निर्माणकार्य मंत्री दादा भुसे से भिड़ गए और दोनों में जमकर जूतम पैजार शुरू हुई, जिसे देखकर शिंदे गुट के अन्य विधायकों ने मध्यस्थता करते हुए उन्हें अलग किया। इसका असर विधानमंडल के दोनों सदनों में दिखाई दिया। इस घटना की विपक्ष ने सदन में जमकर आलोचना की और कहा कि बाहर का गैंगवॉर विधानसभा की सीढ़ियों तक पहुंच गया। इसी तरह विधान परिषद में विपक्ष ने जिद पकड़ ली कि इस राडे के पीछे का कारण स्पष्ट होना ही चाहिए। इसे लेकर विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा किया। इससे विधान परिषद का कामकाज एक घंटे के लिए स्थगित करना पड़ा। विधानभवन की लॉबी में दादा भुसे और महेंद्र थोरवे के बीच धक्का-मुक्की की खबरें मीडिया में आने के बाद विधानमंडल में बहस छिड़ गई। भूसे और थोरवे एक-दूसरे के साथ हाथापाई पर उतर आए थे।
-भुसे को लगे घूंसे!…बाहर आने लगी शिंदे गुट की सत्ता-‘सड़ांध’
-विधानसभा में ही मंत्री-विधायक में हाथा-पाई
महाराष्ट्र के बजट सत्र में सत्ता दल और विपक्ष में जमकर भिड़ंत होने की संभावना थी, लेकिन कल सत्र का आखिरी दिन शिंदे गुट के दो विधायकों में हुए राड़े से काफी हंगामेदार हो गया। शिंदे गुट के विधायक ने मंत्री भुसे के साथ हाथा-पाई की। इतना ही नहीं भुसे को ‘घूंसे’ लगाने वाला ही था कि शिंदे गुट के विधायक भरत गोगावले और मंत्री शंभुराज देसाई ने बीच-बचाव करके मामले को शांत कर दिया। उक्त हंगामे के बाद राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि शिंदे गुट की ‘सड़ांध’ बाहर आने लगी है। यानी गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। बता दें कि शिंदे गुट के दोनों विधायकों के बीच हुई कथित हाथा-पाई का मामला सदन के दोनों सदनों में छाया रहा। इस मामले के चलते हंगामे के कारण विधान परिषद को एक घंटे के लिए स्थगित करना पड़ गया था।
कर्जत के शिंदे गुट के विधायक महेंद्र थोरवे और मंत्री दादा भुसे ने विधान भवन की लॉबी में ही एक-दूसरे के साथ धक्का-मुक्की करनी शुरू कर दी। उनमें बात इतनी बढ़ गई कि दोनों को रोकने के लिए मंत्री शंभुराज देसाई और भरत गोगावले को हस्तक्षेप करना पड़ा। दूसरी तरफ इस घटना के बाद इस सत्र में न केवल सदन शर्मशार हुआ, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति पर एक और बट्टा भी लग गया।
सत्ता दल के विधायक थोरवे ने मंत्री दादा भुसे के पास अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर फॉलोअप किया था। हालांकि, दादा भुसे ने कहा कि महेंद्र थोरवे के बोलने का तरीका गुस्सा दिलानेवाला था। विधायक थोरवे ने दादा भुसे से मांग की थी कि आचार संहिता लागू होने से पहले मेरे विधानसभा क्षेत्र में काम पूरा किया जाए। हालांकि, दादा भुसे और विधायक थोरवे के बीच विवाद विधानमंडल में होने से इस घटना ने एक अलग मोड़ ले लिया। विपक्ष ने आलोचना की है कि अगर सत्ता पक्ष के दो विधायक इस तरह से बहस कर रहे हैं तो यह उनकी संस्कृति को दर्शाता है।
संकट में हैं सत्ता पक्ष के विधायक
सत्ता पक्ष के कई विधायक इस वक्त विवादों में फंसे हुए हैं। थाने में ही गोलीबारी या अन्य तरह के विवादों के कारण सत्ता पक्ष के विधायक संकट में दिखाई दे रहे हैं। अब एकनाथ शिंदे गुट के मंत्री और विधायक के बीच विवाद को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष की कड़ी आलोचना कर रहा है।
बोलने से बचते रहे मुख्यमंत्री शिंदे
इस संबंध में मीडिया ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से भी सवाल पूछने की कोशिश की, लेकिन मुख्यमंत्री इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। चूंकि कार्यक्रम तय था, इसलिए मुख्यमंत्री बिना कुछ कहे चले गए। फिलहाल, उन्होंने मीडिया को यह सलाह जरूर दे डाली कि कुछ भी क्या पूछ रहे हो, कुछ सवाल सत्र के बारे में भी पूछिए।
दादा भुसे एरोगेंट मंत्री घूंसेबाज विधायक थोरवे का सीधा आरोप
शिंदे गुट के घूंसेबाज विधायक महेंद्र थोरवे ने आरोप लगाया कि दादा भुसे एरोगेंट मंत्री है। खुद मुख्यमंत्री ने दादा भुसे को फोन करके कहा था कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र का काम करें। अन्य मंत्रियों ने इस काम के लिए ध्यान देने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद भी दादा भुसे जानबूझकर मेरे विधानसभा क्षेत्र में काम नहीं कर रहे हैं। इस तरह का आरोप विधायक थोरवे ने लगाया है।
फ्री स्टाइल की कराई जाए जांच
प्रतिपक्ष के नेता की मांग
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना विधायक महेंद्र थोरवे और महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री दादा भुसे के बीच विधानमंडल की लॉबी में प्रâीस्टाइल हुई। इस घटना के १५ से २० विधायक गवाह हैं। इस दिल दहला देने वाली घटना की तत्काल जांच कराई जाए, यह मांग कल विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने की।
विधानसभा में बोलते हुए प्रतिपक्ष के नेता वडेट्टीवार ने मांग की कि उस जगह के सीसीटीवी फुटेज को विधानसभा के सामने लाया जाना चाहिए। उक्त घटना की सरकार की ओर से सफाई देते हुए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि ‘मैंने उन दोनों से जानकारी ली। उन दोनों ने मुझे बताया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।