-महाराष्ट्र में हर दिन जान दे रहे हैं आठ किसान
-नौ महीनों में १,९३३ ने की आत्महत्या
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
विधानसभा चुनावों में महाविकास आघाड़ी ने किसानों की समस्याओं को समझते हुए अपने घोषणापत्र में उन्हें गारंटी, कर्ज माफी और अन्य आश्वासनों को पूरा करने का वादा किया है। हालांकि, `घाती’ सरकार ने अपने कार्यकाल में किसानों के बुनियादी मुद्दों को दरकिनार किया। इस वजह से महाराष्ट्र में हर दिन औसतन आठ किसान अपनी जान दे रहे हैं। इस तरह पिछले नौ महीनों में १,९३३ किसानों ने आत्महत्याएं की हैं।
उल्लेखनीय है कि शिंदे सरकार एक रुपया का फसल बीमा, सूखा व भारी बारिश राहत और अन्य पहलुओं पर काम करने का लगातार दावा करते रही है। इसके अलावा इस सरकार ने कई तरह के लॉलीपॉप किसानों को दिखाएं हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। नकली बीज, खाद, कीटनाशक, उत्पादन की बढ़ती लागत, श्रम की कमी, कम आय और बाजार की उतार-चढ़ाव वाली कीमतों ने किसानों को परेशान कर दिया है। दूसरी ओर नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना राज्य के आत्महत्याग्रस्त जिलों में लागू है। हालांकि, राज्य सरकार इससे किसानों की आत्महत्या में कमी के आंकड़े नहीं दिखाती।
इन जिलों में किसानों ने दी जान
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, नौ महीनों में अमरावती विभाग के यवतमाल जिले में २३७, अमरावती में १९२, अकोला में ११८, बुलढाणा में १७७, वाशिम में ६० किसानों ने आत्महत्या की है। छत्रपति संभाजीनगर विभाग के बीड में १४२, नांदेड़ में ११९, धाराशिव में ११५, लातूर में ६०, जालना में ६५, परभणी में ५०, हिंगोली में २३ किसानों ने अपने जीवन को समाप्त कर लिया है। नासिक विभाग के जलगांव में सबसे ज्यादा १२४, धुले में ३२, अहिल्यानगर में ३३, नासिक में ६, नंदुरबार में २ आत्महत्याएं हुर्इं।