९८ फीसदी कैंसर रोगियों को नहीं मिल रही सेवा
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
आज देश में १२ फीसदी मरीजों को पैलिएटिव केयर की जरूरत है, लेकिन हकीकत में महज चार फीसदी मरीजों को भी यह व्यवस्था नहीं मिल रही है। देश में चौथे स्टेज वाले ९८ फीसदी कैंसर रोगियों को यह सेवा नहीं मिल पा रही है। एक अध्ययन में बताया गया है कि साल २०६० तक पूरी दुनिया में यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था विशेषज्ञों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि सबसे घनी आबादी वाले हिंदुस्थान को पैलिएटिव केयर सेवा के विस्तार की सख्त जरूरत पड़ेगी। दूसरी तरफ महाराष्ट्र में मौजूदा समय में उपलब्ध यह सेवा अपर्याप्त साबित हो रही है। राज्य में यह योजना प्रभावी ढंग से लागू नहीं होने के कारण जरूरतमंद मरीजों को उचित मदद नहीं मिल पा रही है। दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि पैलिएटिव केयर योजना स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से राज्य के ३४ जिलों में लागू की जा रही है, लेकिन इसमें कई त्रुटियां हैं। साथ ही योजना का व्यापक विस्तार बहुत जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि कैंसर, एचआईवी संक्रमण और अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को जीवन के अंतिम चरण में दर्द से राहत के लिए विशेष रूप से पैलिएटिव केयर की आवश्यकता होती है। इन रोगियों को दर्द से राहत के लिए मॉर्फिन के इंजेक्शन सहित विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। ऐसे मरीजों की देखभाल करना अक्सर परिवार के सदस्यों के लिए संभव नहीं होता है। बता दें कि हिंदुस्थान में हर साल कैंसर के लगभग १० से १२ लाख नए मामले सामने आते हैं। इनमें से लगभग ८०% मरीजों में स्टेज तीन या चार का कैंसर पाया जाता है। इस संख्या को देखते हुए प्रति १००,००० की आबादी पर ७० से १४० कैंसर रोगियों को पैलिएटिव केयर की आवश्यकता है। लेकिन देश में पैलिएटिव केयर की जरूरत १२ज्ञ् है, लेकिन इस समय केवल यह सुविधा लोगों को केवल चार फीसदी ही मिल रही है। पेलिएटिल केयर चिकित्सा विज्ञान का क्षेत्र है, जो न केवल लाइलाज बीमारियों का इलाज करता है, बल्कि रोगी को दर्द से राहत देने के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक दर्द को भी कम करने में मदद करता है।