-दो लाख करोड़ पार कर चुका है राजकोषीय घाटा
– रु. १,३०० करोड़ बचाने की कवायद
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार इस समय वित्तीय संकट से जूझ रही है इसलिए कुछ कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने की बात सामने आई है। वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए सरकार अब पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समय शुरू की गई शिवभोजन थाली योजना और पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समय शुरू की गई आनंद शिधा योजना को बंद करने की सोच रही है।
चालू वित्तीय वर्ष में इन दोनों योजनाओं पर १,३०० करोड़ रुपए खर्च किए गए। ऐसी खबर मीडिया में चल रही है। गत मंगलवार को हुई राज्य वैâबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा चली थी। राज्य विधानमंडल का बजट सत्र मार्च माह में आयोजित किया जाएगा। इस बजट सत्र के बाद योजनाओं को बंद करने पर निर्णय लिए जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि राज्य का राजकोषीय घाटा दो लाख करोड़ से अधिक हो गया है और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन प्रतिशत है। राज्य के पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने पत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से शिवभोजन थाली योजना को बंद नहीं करने का अनुरोध किया है। यह योजना महाविकास आघाड़ी के दौरान शुरू की गई थी, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे और छगन भुजबल खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री थे।
लाडली बहन योजना का नतीजा?
महायुति सरकार द्वारा शुरू की गई लाडली बहन योजना पर खर्च के कारण यह आशंका है कि राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा २ लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा। यही वजह है कि राज्य सरकार की ओर से खर्च कम करने के लिए सख्त कदम लागू किए जाने की संभावना है। वित्त मंत्री अजीत पवार ने भी इसका सुझाव दिया है। पिछले साल चुनाव के चलते कुछ रियायतें दी गई थीं, लेकिन उन्होंने कहा था कि अगले पांच साल तक अनुशासन का पालन करना जरूरी है।
शिवभोजन थाली योजना क्या है?
गरीबों और जरूरतमंदों के लिए १० रुपए में एक थाली उपलब्ध कराई गई। शहर में एक शिवभोजन थाली की कीमत ५० रुपए है और ग्रामीण इलाकों में इसकी कीमत ३५ रुपए है। राज्य सरकार की ओर से १० रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है। बुधवार तक राज्यभर में १,८०,६४४ थाली वितरित की गर्इं, योजना की सीमा १,९९,९९५ थाली है। इस योजना पर राज्य सरकार सालाना २६७ करोड़ रुपए खर्च करती है।