राह में जीवन की फूलों को बिछाते जाइए
आस के दीपक को तूफां में जलाते जाइए
है अगर तुमको गुलों की ख्वाहिशें इस जीस्त में
खार मिलते हैं तो रस्ते से हटाते जाइए
जिसकी यादों में लिखे हैं गीत और तुमने गजल
आज उसकी याद में उनको तो गाते जाइए
सोचते थे साथ में उनके कटेगी जिंदगी
वो नहीं हैं तो अकेले ही बिताते जाइए
ऐ ‘कनक’ इस जिंदगी में बस जुबां काफी नहीं
दिल भी सोने की तरह से चमचमाते जाइए।
-डॉ. कनक लता तिवारी