जितना बड़ा आदमी उतनी सोच छोटी है
जितनी बड़ी बातें बनाए उतनी महक फीकी है।
एक ईंट उठा लो घरौंदा बना लो
धन को तुम व्यर्थ न उछालो
जल्दी आओ समय न गंवाओ मिट्टी अभी गीली है।
मौकापरस्ती वालों को मत दो मौका
मकशद करने वालों ने खाया है धोखा
मेहनतकशों की जिंदगी बस छीनी है।
तुम किसी का नुक्स निकालो
पहले अपने अंदर का शख्स देखो
तुम गौर करो तुमने अपनी जिंदगी कैसे जीनी है।
जीने का ये दस्तूर है
चलना आदमी का फितरत है
कंटीली राहों ने पैरों की उंगलियां कितनी छीली हैं।
सरहद पर फौजी करता है और खाता है गोली की बौछार
बस एक दूसरे की जिंदगी छीनी है।
पेड़ पर पक्षी मल्हार गाता है
उसके मन को क्या भाता है
उसकी समझ में सब कुछ आता है उसकी समझ भी तीखी है।
-अन्नपूर्णा कौल
नोएडा