आंखों की नदी को कभी सेहरा तो किया कर
अश्कों से कभी पलकों को तन्हा तो किया कर लो
उम्मीद के जुगनू से रहे दिल मेरा रोशनl
झूटा ही सही आने का वा’दा तो किया कर ll
खाई है कसम मैं ने, न छोड़ेंगे तिरा साथ l
पूरा न भरोसा सही आधा तो किया कर ll
माना के छुपाने से भी छुपते नहीं हालात
ग़ुरबत का तकाजा है के पर्दा तो किया कर ll
जालिम का हरिक दांव उलट जाएगा उस पर
मजबूत बना दिल को इरादा तो किया कर ll
है तेज बहुत धूप मेरे सर पे गमों की
बारिश न सही ख़ुशियों की, साया तो किया कर
हर किस्म के बाजार में बिकते हैं कनक दिल
तू भी सरे बाजार ये सौदा तो किया कर।
-डॉ. कनक लता तिवारी