गजल-इश्क

तोलना मत कभी सवालों से
इश्क रहता परे हिसाबों से
दूर होता बदन से पहले दिल
फिर वो रुकता नहीं हवालोँ से
कांटों की अहमियत बताएंगे
पूछो दिलकश कभी गुलाबों से
चांद बन हुस्न झांकता अक्सर
बदलियों के हंसी हिजाबों से
कैसे काबू में इंसां आएगा
पूछे आदम ये भी मशीनों से
इश्क़ गर है तो था नहीं होता
अब निकल आइए गुमानों से
बेवफाई का दर्द क्या “राखी”
कौन बेहतर कहे किताबों से।
-राखी जैन, इंदौर, म.प्र.

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