मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनागजल : ज़िंदगी बस तेरे चक्कर और मैं

गजल : ज़िंदगी बस तेरे चक्कर और मैं

ज़िंदगी बस तेरे चक्कर और मैं
रात दिन फाइल या दफ़्तर और मैं

रात भर काटा नहीं सोने दिया
हाय कैसा है ये मच्छर और मैं

ज़िंदगी तेरी कहानी भी
अजब
घर पे बीवी के ये तेवर और मैं

दिल बड़ा आवारा फिरता है यहाँ
बस हवा ठण्डी समुंदर और मैं

चाँद देखो मुस्कुराया रात पर
चमके तारे नीला अम्बर और मैं

दिल हुआ आवारा मेरा क्यूँ भला
चाहिए घर एक बेहतर और मैं

क्यूँ कनक पूछा नहीं हमसे कभी
सिल्क से अच्छा है खद्दर और मैं

डॉ कनक लता तिवारी
मुंबई

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