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सुल्तानपुर में मनाई गई गीता जयंती …विहिप के पूर्व विभाग उपाध्यक्ष ने बताया गीता महात्म्य

विक्रम सिंह/सुल्तानपुर
भगवान अपने भक्त के हर भाव-कुभाव से बंधकर भी अपने संकल्प एवं सत्य की रक्षा करते हैं। भक्ति के प्रण एवं प्राण की रक्षा करते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में महाभारत युद्ध के दौरान वर्णित कृष्ण-अर्जुन संवाद के रूप में यही सिद्ध है।
सुल्तानपुर जिला मुख्यालय स्थित सीताकुंड धाम में वीपी सिंह स्मारक जन संघर्ष मोर्चा द्वारा आयोजित गीता जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विहिप के पूर्व विभाग उपाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि ये विचार व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत के युद्ध में गीता का उद्घाटन भगवान के मुख से हुआ हुआ है। इसका पाठ ही सब प्रकार से योगक्षेम करता है। वीपी सिंह स्मारक जनसंघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकुमार सिंह लाल भैया ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता के १८वें अध्याय के श्लोक संख्या ६८,६९,७० व ७१ में भगवान ने स्वयं कहा है कि,गीता शास्त्र का पाठ मुझको ही प्राप्त होता है l इसे दूसरों को पढ़ने वाले से बढ़कर प्रिय दूसरा कोई नहीं है l जो इस संवाद का मनन करेगा उससे ज्ञान यज्ञ से पूजित हो जाऊंगा।

गीता के एक अध्याय का प्रतिदिन पाठ सभी व्याधियों को दूर करता है और उन्नति के सभी मार्ग खोल देता है l अपने अध्यक्षीय संबोधन में सरस्वती इंटर कॉलेज के प्राचार्य राकेश कुमार सिंह ने कहा कि गीता दुनिया के सभी शास्त्रों में श्रेष्ठ है, जिसे भगवान ने अपने मुख से युद्ध के मैदान में कहा है l इसी क्रम में ऋषिकेश पांडे, एडवोकेट मनीष गुप्ता ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया और मुख्य अतिथि को गीता भेंट की l रजनीश सिंह, राकेश पाठक, इंद्रजीत सिंह व विपिन तिवारी आदि शामिल हुए।

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