सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्र हो या राज्य, जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं उन राज्यों में न तो महिलाएं सुरक्षित हैं और न ही डॉक्टर। यहां तक की शिक्षिकाओं को भी भाजपा के राज में अब परेशानियों का सामने करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में एमपी में शिक्षिक अपनी मांगों को पूरा करने के लिए पिछले एक साल से भाजपा सरकार से विनती कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी की सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। दरअसल, उच्च माध्यमिक यानी वर्ग एक शिक्षक भर्ती २०२३ में पदवृद्धि की मांग को लेकर राजधानी भोपाल में प्रदेशभर के वेटिंग शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को रानी कमलापति स्टेशन से रैली के रूप में वेटिंग शिक्षक मंत्रालय की ओर निकले, लेकिन पुलिस ने बेरीकेडिंग कर उन्हें बीजेपी कार्यालय के सामने ही रोक दिया।
बता दें कि वेटिंग शिक्षक सड़क पर ही बैठकर पदों को बढ़ाने के लिए नारेबाजी करने लगे। वहीं दूसरी ओर प्रदर्शन के दौरान सरकार की ओर से प्रतिनिधि मंडल के मुलाकात नहीं करने से नाराज महिला उम्मीदवारों ने अब १५ दिन का अल्टीमेटम दे दिया है। महिला वेटिंग शिक्षकों ने कहा कि सरकार ने यदि १५ दिन में हमारी मांगे पूरी नहीं की तो हम भोपाल आकर अपने केशों का त्याग कर देंगी।
भाजपा के राज में किसान, शिक्षक सब परेशान
देश का किसान हो या शिक्षक भाजपा सरकार की गलत नीतियों से सभी परेशान हैं। शिक्षा की बात करें तो हाल ही में १९ अक्टूबर को स्कूल शिक्षा विभाग ने २९०० शिक्षकों को ज्वाइनिंग दी है। बावजूद इसके अब भी प्रदेश में उच्च माध्यमिक शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं। लगातार शिक्षक रिटायर भी हो रहे हैं। बताया गया कि करीब ३५ हजार से अधिक पद अकेले वर्ग १ में खाली हैं। यही कारण है कि वेटिंग शिक्षक २० हजार पदवृद्धि की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शन के दौरान रो पड़ी शिक्षिकाएं
प्रदर्शन में शामिल कई महिला उम्मीदवार अपना दर्द बयां करते रो पड़ीं। उम्मीदवारों का कहना है कि किसी परीक्षा में नौकरी के लिए कोई उम्मीदवार १०० में से कितने नंबर लेकर आए। यही कारण है कि लगातार वेटिंग शिक्षक पदवृद्धि की मांग कर रहे हैं। भर्ती में पदों को बढ़ाने की मांग को लेकर वेटिंग शिक्षकों का ये सातवां बड़ा आंदोलन है।