मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिगोदरेज जल-संरक्षण नवाचारों के साथ एक सतत भविष्य की ओर अग्रसर

गोदरेज जल-संरक्षण नवाचारों के साथ एक सतत भविष्य की ओर अग्रसर

सामना संवाददाता / मुंबई

विश्व जल दिवस के अवसर पर, गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप (जीईजी) ने वैश्विक जल सुरक्षा के लिए जलवायु अनुकूलन क्षमता बढ़ाने और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस वर्ष की थीम—ग्लेशियर संरक्षण—के अनुरूप, कंपनी ग्लेशियर पिघलने के प्रमुख कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि मीठे पानी के स्रोतों एवं आश्रित पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा की जा सके। जलवायु परिवर्तन से निपटने में औद्योगिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, गोदरेज ने अपनी संचालन प्रक्रियाओं में उत्सर्जन में कमी, संसाधन संरक्षण और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को शामिल किया है।
गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप की पर्यावरणीय स्थिरता प्रमुख, तेजश्री जोशी ने कहा, “प्राचीन काल से लेकर आज तक जल हमेशा समुदायों और अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा रहा है। बहुमूल्य संसाधनों और उनके स्रोतों को संरक्षित करना सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलुओं से अनिवार्य है। इसे ध्यान में रखते हुए, गोदरेज जल संरक्षण के अभिनव उपायों को लागू करने में अग्रणी रहा है, जिससे उद्योग में नए मानक स्थापित हुए हैं। हमारे द्वारा वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण जैसी तकनीकों को जल्दी अपनाए जाने से न केवल बहुमूल्य संसाधनों के संरक्षण, बल्कि समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्र को पनपमें में भी मदद मिली। हम अपने संचालन में स्थिरता को शामिल करके ग्रह और लोगों को सुरक्षित करने की दिशा में सक्रिय रूप से महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, जो आर्थिक वृद्धि में भी मददगार है।”

जल संरक्षण गोदरेज की स्थिरता पहल का एक प्रमुख पहलू है। कंपनी ने 2010-11 से अब तक अपने सभी परिचालनों में 50% से अधिक जल उपयोग में कमी की है। उल्लेखनीय रूप से, कंपनी ने भारत में अपने सभी संयंत्रों में मजबूत वर्षा जल संचयन प्रणालियां भी लागू की हैं, जिससे छतों और खुले स्थानों से जल को संग्रहीत कर भूजल स्तर का पुनर्भरण किया जाता है। मुंबई स्थित विक्रोली कैंपस में कंपनी की वार्षिक पुनर्भरण क्षमता 4,25,000 घन मीटर से अधिक है।

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