मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के जन्मदिन के दिन उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में रेलवे कर्मियों की लापरवाही से चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन 18 जुलाई को दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस रेल हादसे में 4 यात्रियों की मौत हुई थी और 31 यात्री घायल हुए थे। रेल हादसे की जांच करने के लिए रेलवे संरक्षा आयुक्त की अगुवाई में पांच सदस्यीय टीम घटनास्थल पहुंची थी।
इमीडिएट रिमूवल डिफेक्ट मशीन से जांच के दौरान ट्रैक में डिफेक्ट निकला। जिसके बावजूद रेलवे कर्मचारियों द्वारा ट्रैक पर कर्मचारी नहीं तैनात किए गए।रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, की-मैन ने उच्चाधिकारियों को जानकारी दी थी, जिसका ऑडियो वायरल है। उसमें उसने बताया था कि साहब ट्रैक बहुत खराब है, इस पर कॉशन लगवा दीजिए। उसके बावजूद कॉशन उस दिन दो बजे जारी हुआ, जो समय रहते चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के ड्राइवर तक नहीं पहुंच सका। इसके चलते बड़ा हादसा हो गया। रेलवे संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना ने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य संरक्षा अधिकारी मुकेश मेहरोत्रा, लखनऊ मंडल के अपर मंडल प्रबंधक राजीव कुमार, शाखा अधिकारियों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण कर स्थानीय लोगों, अधिकारियों सहित कर्मचारियों के बयान दर्ज किए।
प्रारंभिक जांच के बाद हादसे का कारण लापरवाही माना जा रहा है। रेलवे की पांच सदस्यीय टीम ने जांच में रेलवे ट्रैक की मरम्मत में लापरवाही और पटरी का ठीक से ना कसा होना पाया है। इमीडिएट रिमूवल डिफेक्ट मशीन से जांच के दौरान ट्रैक में डिफेक्ट निकला है, लेकिन ट्रैक कर्मचारी नहीं तैनात किए गए। अधिकारियों द्वारा प्रोटेक्शन हादसे से पहले 2.30 बजे जारी किया गया था। 30 किमी स्पीड से गाड़ी चलने का कॉशन लोको पायलट तक नहीं पहुंचा था, जिसके कारण लोको पायलट ने ट्रेन को 80-83 किमी की स्पीड से चला रहा था। ट्रेन की गति तेज होने से पटरियां फैल गईं और बोगियां डिरेल हो गईं।प्रारंभिक जांच में गोंडा रेलवे के 6 अधिकारियों, कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए। जांच में लापरवाही उजागर होने के बाद संबंधित कर्मचारियों पर गाज गिरना तय है।