योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
महाराष्ट्र और गुजरात को जोड़ने वाला मुंबई-अमदाबाद हाईवे हादसों का पर्याय बन चुका है। शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता है, जिस दिन यहां सड़क दुर्घटना नहीं होती हो। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की भी मुंबई-अमदाबाद हाईवे पर ही एक भीषण कार दुर्घटना में जान चली गई थी। इसके बाद भी न तो सरकार जागी न ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की नींद टूटी। महाराष्ट्र में गुजरात सीमा पर स्थित अच्छाड से लेकर वर्सोवा खाड़ी ब्रिज तक करीब ११७ किलोमीटर की दूरी में जनवरी से मार्च २०२४ तक पिछले ३ महीनों में ही ५८ लोगों की जान चली गई और ४१ लोग घायल हुए हैं। तीन महीने में इस राजमार्ग पर १०७ से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।
मुंबई-अमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रतिदिन हजारों वाहनों का आवागमन होता है। रोजाना करोड़ों रुपए की टोल वसूली के बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और टोल ठेकेदार इस हाईवे से सफर करने वालों को जरूरी सुविधा नहीं देते हैं।
करोड़ों की टोल वसूली, सुविधाएं शून्य
मुंबई-अमदाबाद हाईवे से करोड़ों का टोल कलेक्शन होता है, लेकिन इसके बदले लोगों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। हाईवे पर मौजूद अनगिनत गड्ढों के कारण लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। इस हाईवे से सैकड़ों टैंकर ज्वलनशील तेल और रसायन लिए गुजरते हैं, कई बार इन टैंकरों में आग लगने से दुर्घटनाएं हो रही हैं। समय पर फायर ब्रिगेड की सुविधा नहीं मिलने के कारण टैंकर में रखे केमिकल, ज्वलनशील तेल जल गए। कई बार लोग भी इसके चपेट में आ गए। पालघर जिले के दोनों टोल बूथों पर अभी भी फायर ब्रिगेड की सुविधा नहीं है।
जानलेवा सफर
हाईवे पर घोड़बंदर और पालघर जिले के अच्छाड के बीच का १०० किलोमीटर का हिस्सा जानलेवा है। अधिकांश हादसे तेज रफ्तार के कारण हुए हैं। सड़कों की बदहाली, घटिया निर्माण और खराब मेंटेनेंस के कारण अधिकांश हाईवे की बुरी हालत के अलावा साइनबोर्ड की कमी भी दुर्घटनाओं की जिम्मेदार हैं। मुंबई-अमदाबाद हाईवे एनएचएआई के दायरे में आता है। दिशा-निर्देशों के तहत हाईवे पर तय दूरी पर एक एंबुलेंस रखना अनिवार्य है। साथ ही एक क्रेन एवं गश्त करनेवाले वाहन भी होने चाहिए, लेकिन देश के अधिकांश हाईवे पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
तेज रफ्तार के कारण दुर्घटनाएं
ज्यादा तर दुर्घटनाएं वाहनों की तेज गति के कारण हो रही हैं। वाहनों की गति पर नियंत्रण के लिए प्रबंधन किया जा रहा है।
-सुमित कुमार, मैनेजर एनएचएआई
दुर्घटनाओं की आई बाढ़
हाईवे के कंक्रीटीकरण का कार्य जारी है, जिसमें जमकर गुणवत्ता की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हाईवे बनने के पहले ही टूटने लगा है। हाईवे कहां से शुरू होकर खत्म हो रहा है, यह वाहनों चालकों को पता ही नहीं चलता, जिससे दुर्घटनाओं की बाढ़ आ गई है। लोग डेढ़ घंटे की यात्रा चार से पांच घंटे में पूरी कर रहे हैं। ऐसे में वैâसे मान लिया जाए कि हाईवे पर दुर्घटनाएं वाहनों की तेज गति के कारण हो रही है?
-हरवंश सिंह, प्रवक्ता-ऑल इंडिया वाहन चालक-मालिक संघ