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फेस्टिव सीजन में सरकार ने दिया झटका … खाद्य तेलों पर बढ़ाया इंपोर्ट ड्यूटी … ३७ फीसदी महंगा हुआ पॉम आयल

– २५ फीसदी से ज्‍यादा बढ़े सरसों, सोयाबीन के तेल
सामना संवाददाता / मुंबई
त्योहारी मौसम में सरकार ने मिडिल क्लास फैमिली को जोरों का झटका देते हुए खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है। ऐसे में सभी प्रकार के खाद्य तेल महंगे हो गए हैं। पाम ऑयल की कीमतों में बीते एक महीने में ही ३७ फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही सरसों और सोयाबीन तेल के दाम भी २५ फीसदी से ज्‍यादा बढ़ गए हैं। इससे न सिर्फ आम जनता के घरेलू बजट पर असर पड़ा है, बल्कि महंगाई से मिडिल क्लास परिवार की कमर टूट गई है।
आयातित तेलों पर टैक्स से बढ़ीं कीमतें
बाजार के जानकारों का कहना है कि बीते आयात शुल्क में लगभग २० फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ही अधिकांश खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें बढ़ गई हैं। क्रूड पाम ऑयल, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी ५.५ प्रतिशत के स्तर से बढ़ा कर २७.५ प्रतिशत कर दी गई है। रिफाइंड खाद्य तेलों में भी टैक्स को १३.७५ प्रतिशत से बढ़ाकर ३५.७५ प्रतिशत कर दिया गया है। जानकारों की मानें तो करीब ५८ फीसदी हिस्सा आयात करना पड़ता है। जब आयातित तेलों पर टैक्स बढ़ा है तो जाहिर है कि इसे महंगा होना था। डिब्बाबंद सरसों के तेल की कीमतों में १६ फीसदी, सोयाबीन तेल में १५ फीसदी, सूरजमुखी के तेल में १८ फीसदी तो पाम ऑयल में ३७ फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
लोगों का बिगड़ेगा बजट
त्योहारों के मौसम में खाद्य तेल की कीमतों में जोरदार उछाल से न सिर्फ आम जनता के घरेलू बजट पर असर पड़ा है, बल्कि रेस्टोरेंट्स, होटलों और मिठाई की दुकानों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है, जो स्नैक्स और अन्य व्यंजन तैयार करने के लिए इन तेलों का इस्तेमाल करते हैं। मिठाई से लेकर फरसाण तक की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। आम लोगों का कहना है कि उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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