सर्वे का ग्रामीणों ने किया जमकर विरोध
धारावी पुनर्विकास के नाम पर चल रहा है खेल
सामना संवाददाता / मुंबई
सरकार और अडानी समूह के नजदीकी रिश्तों की एक और झलक गुरुवार को मालाड के अक्सा गांव में देखने को मिली। यहां कलेक्टर कार्यालय के शहर सर्वेक्षण अधिकारियों (सीएसओ) ने स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद धारावी पुनर्विकास परियोजना के तहत १४० एकड़ जमीन का सर्वेक्षण शुरू कर दिया। इस सर्वे का उद्देश्य धारावी के पुनर्वास के लिए अयोग्य निवासियों को बसाने के लिए भूमि चिह्नित करना था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मुंबई हाई कोर्ट ने २०२४ में आदेश दिया था कि राजस्व विभाग पहले चार महीने के भीतर भूमि से संबंधित सभी आपत्तियों की सुनवाई पूरी करे, उसके बाद ही सर्वेक्षण शुरू हो। बावजूद इसके, प्रशासन ने यह आदेश नजरअंदाज कर दिया और सुबह ६ बजे सर्वे शुरू कर दिया। ग्रामीण सुबह ९ बजे से विरोध के लिए तैयार थे, लेकिन अधिकारियों ने पुलिस वैन के जरिए उन्हें चकमा दे दिया।
महाराष्ट्र मच्छीमार कृति समिति के महासचिव किरण कोली ने बताया कि अधिकारियों ने चुपके से सर्वे शुरू कर दिया। जैसे ही हमें यह पता चला, ३,००० से अधिक लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। धनजी कोली, मछुआरा समाज के प्रमुख, ने कहा कि हम इस जमीन का इस्तेमाल अपनी मछलियां सुखाने और खेती के लिए करते हैं। यह जमीन हमारी आजीविका का हिस्सा है।
१९५०-६० के दशक में यह जमीन महाराष्ट्र सरकार द्वारा श्री मुक्तेश्वर संस्था को खेती के लिए दी गई थी, लेकिन इसे दो साल पहले सरकार ने वापस ले लिया। अब इसे धारावी पुनर्विकास परियोजना के तहत पुनर्वास के लिए चिह्नित किया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस पुनर्विकास से उनकी समस्याएं और बढ़ जाएंगी। उनका कहना है कि अतिरिक्त ८ लाख लोगों की आबादी क्षेत्र में पानी की भारी कमी और खराब सड़कों जैसी समस्याओं को और बढ़ा देगी। किरण कोली ने कहा कि हम पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। हमें अपनी जगह और संसाधनों की जरूरत है, लेकिन प्रशासन इसे बाहरी लोगों को दे रहा है। प्रदर्शन के बाद ग्रामीण मालवणी पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां अधिकारियों ने सर्वे रोकने का दावा किया और कहा कि उनकी आपत्तियों को राजस्व विभाग को भेजा जाएगा। हालांकि, ग्रामीण इस पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। अडानी समूह ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन अडानी के हितों को प्राथमिकता दे रहा है और स्थानीय निवासियों की समस्याओं को अनदेखा कर रहा है।