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सरकार के बेतुके नियम और नीतियां जिम्मेदार … संकट में विश्व प्रसिद्ध चटाई उद्योग लाखों लोग होंगे बेरोजगार …रु. १,५०० करोड़ का कारोबार बंदी के कगार पर

रामदिनेश यादव / मुंबई
केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की महायुति सरकार महाराष्ट्र में निवेश लाने और उद्योग खड़ा करने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि जो उद्योग महाराष्ट्र में चल रहे हैं इनसे वह भी संभाला नहीं जा रहा है। यह सरकार रोजगार देने की बात करती है, लेकिन काम रोजगार छीनने वाला करती है। पिछले ५ सालों में कई उद्योग राज्य से बाहर भेजे गए और जो उद्योग यहां हैं, उन्हें नीतियों और टैक्स की चक्कर में उलझाकर इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है कि अब वह बंद होने के कगार पर है। इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र का चटाई उद्योग, जो विश्व प्रसिद्ध है। जलगांव में बनने वाली चटाई विश्व में निर्यात की जाती है। लेकिन अब उसके निर्माण में भारी कमी आई है। यह उद्योग अब हाशिये पर आ गया है।
देश में कई जगह पर चटाई बनती है, लेकिन लगभग ९० फीसदी चटाई महाराष्ट्र में ही बनती है और यह विदेश में बड़े पैमाने पर निर्यात की जाती है। लेकिन चटाई उद्योग पर जीएसटी और निर्माण के लिए आने वाले खर्च की दरों में वृद्धि के चलते इस उद्योग से जुड़े मालिकों की हालत खराब हो गई है, अब कई लोग इस उद्योग को बंद कर रहे हैं। ऐसे में चटाई उद्योग बंद होने से लाखों लोगों को बेरोजगार होने की आशंका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जलगांव का विश्व प्रसिद्ध चटाई उद्योग सरकार की उदासीनता के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। साथ ही यह उद्योग प्लास्टिक के पुन: उपयोग से पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ चटाई तैयार करता है। जलगांव में ही सालाना १५ हजार करोड़ रुपए का यह कारोबार होता है। बढ़ती बिजली दरों और चटाई स्व्रैâप पर १८ प्रतिशत जीएसटी की वजह से उत्पादन लागत इतनी बढ़ गई है। जलगांव के १५०-१६० उद्योगों में से २५-३० उद्योग पिछले ६ महीनों में बंद हो चुके हैं। लगभग ३० हजार से अधिक मजदूर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गए हैं।

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