सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने २० या उससे कम छात्रों वाले १४,००० से ज्यादा प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के विलय का बड़ा फैसला लिया है। इस कदम से १.८५ लाख छात्रों और लगभग ३०,००० शिक्षकों पर असर पड़ेगा। सरकार का दावा है कि यह शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया कदम है, लेकिन इस पैâसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे छात्रों की शिक्षा बाधित होगी और शिक्षा का अधिकार कमजोर होगा।
२१ सितंबर २०२३ को जारी सर्कुलर के अनुसार, २० या उससे कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद किया जाएगा। इन स्कूलों के छात्रों को नजदीकी बड़े स्कूलों या नए बनाए गए क्लस्टर स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। साथ ही दूरदराज के इलाकों में स्कूलों में बुनियादी ढांचे और योग्य शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकेगा। सरकार का मानना है कि छोटे स्कूलों में जरूरी सुविधाओं की कमी होती है, जैसे कि खेल के मैदान, ऑडियो-विजुअल संसाधन, और छात्रों के बीच संवाद का अवसर। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) २०२० में भी छोटे स्कूलों का विलय करने का प्रस्ताव दिया गया है, ताकि हर छात्र को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
क्लस्टर स्कूलों के फायदे और चुनौतियां
शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले कुछ विशेषज्ञ इस कदम का समर्थन भी कर रहे हैं। शिक्षा कार्यकर्ता हेरंभ कुलकर्णी ने कहा, `मैं इस योजना का समर्थन करता हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि क्लस्टर स्कूलों में छात्रों को बेहतर अवसर मिलेंगे और वे बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में फिलहाल करीब ८,००० स्कूल ऐसे हैं, जो एक-दूसरे के आधे किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं। इसके अलावा हमारे पास आदिवासी विकास और सामाजिक कल्याण विभाग के तहत लगभग २,००० आश्रम शालाएं हैं। साथ ही सरकार ने आरटीई एक्ट के तहत उन्हीं गांवों में जिला परिषद स्कूल भी खोले हैं।
शिक्षकों और कार्यकर्ताओं की चिंता
शिक्षकों और शिक्षा कार्यकर्ताओं ने इस योजना का विरोध किया है। ‘आम्ही शिक्षक’ संगठन के अध्यक्ष सुशील शेजुले ने कहा, ‘यह दुर्बल समुदायों के बच्चों के लिए एक और कठिनाई पैदा करेगा। यह बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन है।’ कई शिक्षक संगठनों ने इस पैâसले को गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के साथ अन्याय बताया है।
स्कूल में ही होंगे परीक्षा केंद्र
१०वीं, १२वीं परीक्षाओं में नहीं होगी गड़बड़ी
सामना संवाददातात / मुंबई
१०वीं, १२वीं परीक्षा में नकल रोकने के लिए इस बार छात्र अपने स्कूल में ही परीक्षा देंगे, लेकिन वहां केंद्र संचालक, पर्यवेक्षक और शिक्षक दूसरे स्कूलों में तैनात किए जाएंगे। यह पैâसला महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने लिया है। राज्य बोर्ड द्वारा आयोजित १०वीं, १२वीं परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के लिए यह अहम पैâसला लिया गया है। इस संबंध में राज्य बोर्ड सचिव देवीदास कुलाल ने कहा है कि इन दोनों परीक्षाओं में राज्य से करीब ३१ लाख छात्र शामिल होंगे। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, परीक्षा केंद्र पर उसी स्कूल के प्राचार्य, शिक्षक परीक्षा केंद्र के केंद्र निदेशक, पर्यवेक्षक और परीक्षा संबंधी कार्य करते हैं, लेकिन इस साल से ये बदला जाएगा। राज्य बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी ने बताया कि नकल मुक्त परीक्षा के लिए पहली बार केंद्र निदेशक, पर्यवेक्षक या परीक्षा से जुड़े स्टाफ को दूसरे स्कूलों से नियुक्त करने का निर्णय राज्य स्तर पर लिया गया है।