सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में महायुति की सरकार को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद सरकार की कार्यप्रणाली धीमी गति से आगे बढ़ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार के तीनों घटक दलों (भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट) के बीच पालकमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है।
उधर, एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या पालकमंत्री पद कैबिनेट मंत्री पद से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है? मैंने महाराष्ट्र की राजनीति को नजदीक से देखा है। शरद पवार ने राज्य का नेतृत्व मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री के रूप में किया, लेकिन पालकमंत्री पद को लेकर कभी विवाद नहीं हुआ। इस सरकार में कैबिनेट से ज्यादा महत्व पालकमंत्री पद को दिया जा रहा है। सुना है कि कई मंत्रियों ने इस खींचतान के कारण अब तक अपने मंत्रालय में काम शुरू नहीं किया है। यह सरकार छोटे-छोटे क्षेत्र बांटकर राजनीति करना चाहती है, जो सही नहीं है।
कई जिलों के पालकमंत्री पद पर विवाद
महायुति के तीनों गुटों में खींचतान
पालकमंत्री पद को लेकर महायुति के तीनों दलों में खींचतान मची हुई है। इस वजह से अभी तक पालकमंत्री पदों का बंटवारा नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में सरकार का कामकाज भी ठप है। मंत्रालय में अभी तक कोई काम शुरू नहीं हो पाया है। रायगड – रायगड के पालकमंत्री पद के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस की अदिती तटकरे और शिवसेना-शिंदे गुट के भरत गोगावले के बीच प्रतिस्पर्धा है। दोनों नेता इस पद के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। बीड- बीड में सरपंच हत्या प्रकरण के चलते धनंजय मुंडे को पालकमंत्री बनाए जाने का विरोध हो रहा है। इस पद के लिए उप मुख्यमंत्री अजीत पवार का नाम चर्चा में है, लेकिन भाजपा पंकजा मुंडे के नाम को आगे बढ़ा रही है। कोल्हापुर- कोल्हापुर में अजीत पवार गुट के हसन मुश्रीफ और शिंदे गुट के प्रकाश आबिटकर के बीच खींचतान जारी है। मुंबई शहर और सातारा- मुंबई और सातारा के पालकमंत्री पदों के लिए भाजपा और शिंदे गुट के बीच प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है। नासिक- यहां भाजपा के गिरीश महाजन और शिंदे गुट के दादा भुसे के बीच विवाद जारी है। गडचिरोली- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गडचिरोली के पालकमंत्री पद में रुचि दिखाई है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय अभी बाकी है।