एजिथ्रोमायसिन-५०० की रिपोर्ट आने में लगे डेढ़ साल
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में स्वास्थ्य व्यवस्था से संबंधित एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें सरकारी अस्पतालों को नकली दवाओं की आपूर्ति की गई। बीड जिले के अंबाजोगाई स्थित स्वराती वैद्यकीय महाविद्यालय और अस्पताल में एजिथ्रोमायसिन-५०० नामक नकली दवा दी गई। इस मामले में जांच के बाद कार्रवाई की गई है, लेकिन इसके पीछे प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। जब तक दवा के नकली होने का खुलासा हुआ, तब तक २५,९०० टैबलेट ८,५०० मरीजों को दिए गए। क्योंकि दवाई की जांच रिपोर्ट लैब से आने में डेढ़ साल लग गए।
इस बीच ८,५०० मरीजों के पेट मे दवाई नहीं सिर्फ टैबलेट की गोली गई, क्योंकि उस गोली में दवाई का वह तत्व उपलब्ध ही नहीं था। इस गोली से कितनों को रिएक्शन हुआ है, यह यह जांच का विषय है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार अभी तक किसी ने इसके लिए शिकायत दर्ज नहीं कराई है, लेकिन हम उन मरीजों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। विशाल एंटरप्राइजेज नामक आपूर्तिकर्ता ने शासकीय अस्पतालों को यह दवा आपूर्ति की थी। अस्पताल में इस दवा का सारा स्टॉक खत्म हो चुका था और ८,५०० से अधिक मरीजों ने इस दवा का सेवन कर लिया। दवाई का मरीजों पर कोई असर नहीं हो रहा है। दवाओं की जांच के लिए सैंपल भेजे गए थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट १ साल ३ महीने बाद प्राप्त हुई। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि दवाओं में एजिथ्रोमायसिन का कोई अंश नहीं था। अगर दवाओं में कोई हानिकारक तत्व होता तो गंभीर परिणाम भी हो सकते थे।
बीड के स्वराती अस्पताल के डॉक्टर शंकर धपाटे ने कहा कि अभी तक किसी मरीज ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की है। हालांकि, समय पर जांच न होने के कारण यह मामला गंभीर चिंता का विषय बन गया है।