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बेस्ट की घोर लापरवाही  …सिर्फ ३ दिन की ट्रेनिंग देकर थमा दी ऑटोमेटिक बस की कमान!

– ६ सप्ताह का प्रशिक्षण है अनिवार्य
– १२ साल से चलाता था डीजल बस
– नई बसों में नहीं होता क्लच पैडल
सामना संवाददाता / मुंबई
कुर्ला बेस्ट बस दुर्घटना के वक्त बस चला रहे ड्राइवर संजय मोरे १२ साल से डीजल बस चला रहे थे। उन्हें ऑटोमैटिक बस चलाने का अनुभव नहीं था। उन्हें केवल ३ दिन की ट्रेनिंग देकर बस की कमान सौंप दी गई। इन बसों में क्लच पैडल नहीं होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मैनुअल से ऑटोमैटिक बस चलाने में ६ सप्ताह का प्रशिक्षण अनिवार्य है, लेकिन यहां इसकी घोर अनदेखी की गई।

बढ़ रही हैं चालकों के बस से नियंत्रण खोने की घटनाएं!
-पर्याप्त ट्रेनिंग का है अभाव

बेस्ट प्रशासन का कहना है कि ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया था, लेकिन इस मामले में लापरवाही और अपर्याप्त ट्रेनिंग प्रमुख कारण बनकर सामने आ रहे हैं।

बेस्ट की नई ऑटोमैटिक बसों में क्लच पैडल नहीं होते, जिससे पुराने ड्राइवरों को बस नियंत्रण में मुश्किल होती है। कुर्ला हादसे के वक्त बस चला रहे चालक संजय मोरे को भी ऑटोमैटिक बस चलाने का पर्याप्त अनुभव नहीं था। यही कारण है कि तेज गति में बस पर से नियंत्रण खोने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुर्ला में बस की तेज रफ्तार ने करीब २२ वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। घायलों में कई लोगों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। बेस्ट प्रशासन का कहना है कि ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया था, लेकिन इस मामले में लापरवाही और अपर्याप्त ट्रेनिंग प्रमुख कारण बनकर सामने आ रहे हैं। पुलिस ने बस चालक संजय मोरे को हिरासत में लिया है और हादसे की जांच जारी है। बेस्ट और मनपा पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ड्राइवरों को पर्याप्त प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है? यह घटना बेस्ट की लापरवाही को उजागर करती है, जिसमें इंसानी जानों की कीमत पर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहा है।

ड्राइवर को हो सकती है ७ साल की सजा

बेकाबू बस हादसे के ड्राइवर को कम से कम ७ साल की सजा हो सकती है। चालक संजय मोरे को बीएनएस की धारा १०५ (गैर इरादतन हत्या) और ११० (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) तथा मोटर वाहन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। एडवोकेट अमीन सोलकर ने बताया कि अगर ये मामला सिर्फ हादसा सबित होता तो चालक को २ साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा अगर चालक को पता था कि किसी भी कारणवश उससे गलती हो सकती है और ये बात साबित हो जाती है तो ऐसे में चालक को ७ साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा संजय मोरे के खिलाफ बीएनएस की धारा ३२९ और ३२६ भी लगाई गई है। इन धाराओं पर चालक के वकील ने आपत्ति जताई है और कहा कि ये धाराएं किसी हथियार से गंभीर रूप से घायल किए जाने पर लगाई जाती हैं। चालक संजय मोरे को अदालत में पेश किए जाने के बाद अदालत ने उसे २१ दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

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