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बाप्पा के स्वागत में जीएसटी का विघ्न …बाजे रे बाजे, महंगा ढोल बाजे! …वाद्य यंत्रों के रॉ मैटेरियल पर १८ फीसदी टैक्स से कारोबार प्रभावित

सुनील ओसवाल / मुंबई
हिंदुत्व का ढोल पीटनेवाली मोदी सरकार के राज में हिंदू त्योहारों पर कहर ढाया जा रहा है। गणेशोत्सव आनेवाला है। मगर बाप्पा के स्वागत में जीएसटी का विघ्न आ रहा है। असल में सरकार ने वाद्ययंत्रों के रॉ मैटेरियल पर १८ फीसदी जीएसटी लगा दिया है। हालांकि, इसकी घोषणा पहले ही की गई थी मगर अब इसका असर देखने को मिल रहा है। इसके कारण हिंदू त्योहारों को सेलिब्रेट करनेवाला प्रमुख वाद्य ढोल महंगा हो गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, जीएसटी लागू होने के कारण ढोल बजाना अब महंगा हो गया है। हिंदू त्योहारों में इस्तेमाल होने वाले सितार, तंबोरा, तबला, डग्गा, पखावज, वीणा, हारमोनियम, ताशा, ढोल, झांझ, गिटार जैसे रेडीमेड वाद्ययंत्रों पर कोई जीएसटी नहीं है। लेकिन वाद्ययंत्र बनाने के लिए आवश्यक स्पेयर पार्ट्स पर १२ से १८ प्रतिशत जीएसटी लागू होने से ये महंगे हो गए हैं। ढोल व ड्रम की कीमतों में बढ़ोतरी हो गई है। इसके चलते वाद्ययंत्र निर्माताओं की ओर से नाराजगी जताई जा रही है। बता दें कि राज्य में गणेशोत्सव के दौरान मांग के चलते संगीत वाद्ययंत्र बाजार में करोड़ों का कारोबार होता है। तंतूवाद्य यंत्र बनाने की परंपरा रखने वाले मिरज के तंतूवाद्य की मांग पूरे देश में है। नासिक ढोल न केवल महाराष्ट्र बल्कि अन्य राज्यों में भी प्रसिद्ध है। सांगली जिले में तार वाले वाद्ययंत्रों के साथ-साथ गणेशोत्सव, नवरात्रि, वारकरी, भजनी मंडलों, संगीत समूहों के लिए आवश्यक सभी वाद्ययंत्र मिलते हैं। मराठवाड़ा में स्टील ड्रम व ताशा बजाया जाता है।

२० करोड़ का है ढोल का कारोबार
वाद्ययंत्रों की बिक्री में सांगली प्रसिद्ध है। विशेष रूप से मिरज संगीत वाद्ययंत्रों का बाजार है। महाराष्ट्र में दहीहंडी, गणेशोत्सव, नवरात्रि जैसे त्योहारों के लिए उपयोग किए जाने वाले झांझ ढोल का कारोबार लगभग २० करोड़ का कारोबार राज्य में होता है, जबकि संगीत वाद्ययंत्रों का बाजार सालाना लगभग ५० करोड़ का है।
-मोहसिन मिरजकर, वाद्ययंत्र विक्रेता, मिरज

हिंदू विरोधी है सरकार
यह सरकार हिंदू विरोधी है। दहीहांडी, गणेशोत्सव, नवरात्रि जैसे त्योहार सार्वजनिक सदस्यता के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं, केंद्र सरकार द्वारा संगीत वाद्ययंत्रों पर लगाए गए जीएसटी के प्रभाव से ढोल, लेजीम और अन्य संगीत वाद्ययंत्रों के किराए ३० से ३५ फीसदी बढ़ जाएंगे। हम इसकी निंदा करते हैं। यह सरकार हिंदू विरोधी है।
-गजानन शेलार, सलाहकार (गणपति निगम)

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