प्रतापगढ़ी की संसद सदस्यता से खतरा टला
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
गुजरात पुलिस को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की एक कविता समझ में नहीं आई तो उसने केस दर्ज कर लिया था। यह मामला हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस का ‘गुड़गोबर’ करने के साथ ही उसे इस कविता का अर्थ समझाते हुए कहा कि उसने इसे समझने में गलती की है। इस कविता की पंक्तियां हैं, ‘उस रब की कसम हंसते-हंसते, इतनी लाशें दफना देंगे’! सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह कविता हिंसा का संदेश नहीं देती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कविता केस का आधार वैâसे हो सकती है? प्रतापगढ़ी ने इस कविता का ऑडियो इंस्टा पर पोस्ट किया था। हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था। इस आदेश के बाद प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जस्टिस एएस ओक के समक्ष ये मामला पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने हर पक्ष सुनने के बाद पहले प्रतापगढ़ी को अंतरिम राहत देते हुए एफआईआर के आधार पर आगे की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी और इस केस में गुजरात पुलिस को फटकारा। इससे प्रतापगढ़ी की संसद सदस्यता पर से खतरा टल गया है।
रचनात्मकता दृष्टिकोण से देखें
अदालत ने प्रतापगढ़ी की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि कविता का संदेश सिर्फ ये है, ‘अगर कोई हिंसा करता है, तब भी हम हिंसा नहीं करेंगे।’ वहीं राज्य सरकार के वकील से अदालत ने कहा, ‘कृपया दिमाग लगाएं, कविता का सही विश्लेषण करें और इसे रचनात्मकता के दृष्टिकोण से देखें। यह कविता किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है और इसके अर्थ को गलत तरीके से समझा गया है।’