गुरु नानक के शब्दों में अमृत है,
जो बहा दे मन का विकार,
मानस के हर कोने में भर दे,
करुणा, विश्वास और प्यार।
जग को सिखाया जिसने यह,
कि हर जीव है ईश्वर का रूप,
बिना भेदभाव के देखे सभी को,
हर जगह वही अंश अनूप।
संसार पथ पर चलना सिखाया,
जो सत्य, संयम और सरलता है,
जिसने त्यागा मोह और लोभ को,
वह सच्चे प्रेम की परिभाषा है।
कर्म का पथ अपनाएं सदा,
न मांगें फल का कोई अधिकार,
बस सेवा में रत रहें हम सब,
यही सिखाया नानक ने जीवन सार।
गुरु नानक का यह संदेश अमर है,
हर युग में है इसका मान,
जो इसे अपनाए अपने जीवन में,
उसका हर क्षण बने वरदान।
सिखाई गुरु ने ऐसी दृष्टि,
जो देखे जग को एक समान,
हर दिल में जो प्रेम जगाए,
वही तो है सच्चा इंसान।
-मुनीष भाटिया
कुरुक्षेत्र