२०१७ से २०२२ तक
दर्ज हुए २ लाख मामले
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर के साथ ९ अगस्त को रेप के बाद बेरहमी से हत्या का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। अब इस घटना ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। दिल्ली हो या महाराष्ट्र, कर्नाटक हो या बंगाल, यूपी हो या एमपी सभी जगह रेप की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। एनसीआरबी के पिछले १० सालों के आंकड़े बताते हैं कि पिछले १० वर्षों में यानी मोदी राज में देश की `आधी आबादी’ कही जानेवाली महिलाएं अनसेफ हैं। एनसीआरबी के आंक़ड़े बताते हैं कि २०१७ से २०२२ तक देश में कुल तकरीबन २ लाख रेप के मामले दर्ज हुए हैं। आंकड़े की बात करें तो देश में हर घंटे ४ महिलाएं दुष्कर्म का शिकार होती हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर १५ मिनट में १ महिला का रेप होता है। ऐसे में देखा जाए तो हर घंटे ४ महिलाओं का बलात्कार हो रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल २०२२ में देश में रेप के ३१ हजार ५१६ मामले दर्ज किए गए। २०२१ में ३१,६७७ मामले, २०२० में २८,०४६ मामले और २०१९ में ३२,०३३ मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा बलात्कार राजस्थान में हुए हैं। २०२२ में राजस्थान में रेप के ५,३९९ मामले दर्ज किए गए थे। दूसरे नंबर पर ३,६९० मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था। तीसरे नंबर पर ३,०२९ मामलों के साथ मध्य प्रदेश, चौथे पर महाराष्ट्र है, जहां २०२२ में रेप के २,९०४ मामले दर्ज किए गए।