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हनुमान हैं ज्योतिष

हनुमानजी और ज्योतिष का गहरा संबंध है। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी स्वयं भी ज्योतिषी हैं और इनके द्वारा भी ज्योतिष शास्त्र की रचना की गई है। हनुमानजी की पूजा से ज्योतिष के अनुसार बताए गए भी ग्रह दोषों का निवारण हो जाता है। हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए भक्ति-भाव से श्रीराम नाम जपें। हनुमान मंदिर में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। ताजे पके हुए फल व सूखा मेवा अर्पित करें। हनुमानजी को बेसन से बने व्यंजन प्रिय हैं। साथ ही सुगंधित धूप लगाएं और हवन करें। कुछ समय के लिए हनुमत मंत्रों से ध्यान भी करें। इच्छा शक्तिनुसार मंदिर में हनुमत प्रतिमा का शृंगार कराने से भी वे प्रसन्न होते हैं।
शनि: सूर्य के पुत्र हैं शनि। शनिदेव ने अहंकारवश हनुमानजी को युद्ध के लिए बाध्य किया था। हनुमानजी ने अपनी पूंछ में बांधकर शनि को संपूर्ण रामसेतु की परिक्रमा करा दी थी। शनि का शरीर रक्त रंजित हो गया था। विनती करने पर हनुमानजी ने शनि को इस शर्त पर छोड़ा कि मेरी आराधना करने वाले भक्तों को आप कष्ट नहीं देंगे। रक्त रंजित शरीर पर शनि ने तेल लगाकर शांति पाई। इसीलिए आज भी शनि से पीड़ित लोग उन्हें तेल अर्पण करते हैं।
सूर्य: हनुमानजी के गुरु सूर्य देव हैं। उन्होंने सूर्य देवता से ही शिक्षा ग्रहण की थी। सूर्य देव के मित्र चंद्र, मंगल, बुध व गुरु हैं। ऐसे में हनुमत उपासना से सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध व गुरु ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है। हनुमानजी के जन्म के समय भी सूर्य उच्च राशि मेष में स्थित थे।
राहु-केतु: दोनों छाया ग्रह क्रूर हैं। हनुमानजी के डर से राहु भागकर इंद्रदेव के पास चला गया था। हनुमानजी की भक्ति करने से राहु-केतु जनित कष्टों से मुक्ति मिलती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष हो या राहु-केतु कष्ट देने वाले हों तो उन्हें हनुमानजी की पूजा करने पर इन दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
शुक्र : हनुमानजी महान संगीतज्ञ, शृंगार प्रिय और विनोदी हैं। अत: उनका शृंगार करने और संगीतमयी गुणगान करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं। इस प्रकार हनुमानजी की उपासना करने से नवग्रह की उपासना भी हो जाती है। समस्त ग्रहजन्य दोष स्वत: समाप्त हो जाते हैं।
हनुमानजी को प्रसन्न करने के खास मंत्र
व्याधि हरण के लिए- ॐ वायु पुत्राय नम:
जन्मदिन पर- ॐ चिरंजीवीने नम:
कार्य सिद्धि के लिए- ॐ रामदूताय नम:
शत्रु पर विजय के लिए- ॐ शूराय नम:
सफलता के लिए- ॐ गुणाढ्याय नम:
अध्यात्म चेतना के लिए- ॐ महायोगिने नम:
रोग मुक्ति के लिए- सोमित्र प्राणदाय नम:
भक्ति प्राप्ति के लिए- ॐ राम भक्ताय नम:
कार्य सिद्धि के लिए- ॐ हनुमते नम:
अभिष्ट व रक्षा के लिए-
अंजनागर्भ संभूत कपींद्र सचिवोत्तम, रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमत रक्ष सर्वदा।

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