मुख्यपृष्ठखबरेंमेहनतकश : खुद के साथ भाई को भी दिलाई उच्च शिक्षा

मेहनतकश : खुद के साथ भाई को भी दिलाई उच्च शिक्षा

अशोक तिवारी

शिक्षा से इंसान जिंदगी में वो मुकाम हासिल कर सकता है, जिसकी वह चाहत रखता है। शिक्षा न केवल इंसान को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, बल्कि उसे वो मुकाम दिलाती है जिसे पाने की चाहत हर इंसान करता है। बचपन में गरीबी में गुजारा करनेवाले विजय त्रिभुवन शुक्ला ने शिक्षा के दम पर न सिर्फ खुद कामयाबी हासिल की, बल्कि अपने छोटे भाई को भी एक कामयाब इंसान बनाया।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मड़ियाहूं तहसील के कनवा गांव के रहनेवाले विजय शुक्ला बताते हैं कि उनके पिता त्रिभुवन शुक्ला मुंबई के परेल इलाके में एक मिल मजदूर थे। वर्ष १९८३ में मिल बंद होने के बाद उनके पिता गांव जाकर खेती-बाड़ी करने लगे। जिस समय त्रिभुवन शुक्ला गांव जाकर खेती-बाड़ी कर रहे थे उस समय विजय की उम्र मात्र चार वर्ष की थी। बचपन से ही विजय शुक्ला को पढ़ने का बहुत शौक था। उनके पिता ने किसी तरह पोस्ट ग्रेजुएट तक की शिक्षा उन्हें उत्तर प्रदेश से दिलवाई। शिक्षा प्राप्त करने के बाद वर्ष २००४ में विजय शुक्ला रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आ गए। काफी तलाश करने के बाद भी जब उन्हें मुंबई में कोई जॉब नहीं मिला तो उन्होंने विक्रोली स्थित हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी में एक्जीक्यूटिव के पद पर काम करना शुरू किया। वर्ष २००८ में विजय शुक्ला टॉप सिक्योरिटी में पर्सनल एक्जीक्यूटिव के पद पर तैनात किए गए। विजय शुक्ला वर्तमान में न्यूज १८ इंडिया में बतौर असिस्टेंट जनरल मैनेजर के पद पर काम कर रहे हैं। विजय शुक्ला बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने मुंबई शहर से एलएलबी और एलएलएम तक की शिक्षा प्राप्त की और अपने छोटे भाई रोशन शुक्ला को नागपुर से शिक्षा दिलवाई। वर्तमान में उनका छोटा भाई भी मुंबई में एक अच्छे पद पर तैनात है। विजय शुक्ला के चाचा का देहांत हो जाने से उनकी एक बेटी का ब्याह करना बाकी रह गया था। वर्ष २०१५ में विजय शुक्ला ने अपने चाचा की बेटी का ब्याह किया। विजय शुक्ला को एक बेटा और एक बेटी है। वर्तमान में उनकी बेटी एमएससी की पढ़ाई कर रही है, जबकि बेटा ९वीं कक्षा का छात्र है। विजय शुक्ला अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहते हैं। आर्थिक स्थिति थोड़ी मजबूत हुई तो विजय शुक्ला ने मुंबई में खुद के लिए घर भी खरीदा और गांव में पक्का मकान बनवाया। विजय शुक्ला के पिता त्रिभुवन शुक्ला आज भी गांव में रहकर खेती-बाड़ी करते हैं। विजय शुक्ला भी वर्ष में दो से तीन बार गांव जाकर अपने पिता की मदद करते हैं। विजय शुक्ला का मानना है कि उच्च शिक्षा इंसान के भाग्य को बदल देती है इसलिए इंसान को हमेशा शिक्षा पर प्राथमिकता देनी चाहिए।

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