मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : अपने बच्चों सहित अनाथों को भी पढ़ाया

मेहनतकश : अपने बच्चों सहित अनाथों को भी पढ़ाया

अशोक तिवारी

मुंबई शहर में रहनेवाले हर इंसान की अपनी एक कहानी है, एक अलग इतिहास है। इंसानों की कहानियों में जहां ट्विस्ट और हादसे भी हैं, वहीं ट्रेजडी भी है। घाटकोपर (पूर्व) कामराज नगर में रहनेवाले राजा लिंगया लिंगायत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। वर्तमान के तेलंगाना राज्य और पूर्व के आंध्र प्रदेश के रहनेवाले राजा लिंगया लिंगायत के पिता १९७० में मुंबई आए थे। गांव में गरीबी का आलम इतना था कि लिंगया पढ़ाई नहीं कर पाए और यहां आकर रेलवे प्लेटफॉर्म बनाने के काम में बतौर मजदूर भर्ती हो गए। मजदूरी से होनेवाली आय इतनी कम थी कि वे राजा लिंगायत को ज्यादा पढ़ा नहीं सके। घर की माली हालत को देखते हुए राजा लिंगायत वर्ष १९९१ में मुंबई की सड़कों पर ऑटोरिक्शा चलाने लगे। २००६ तक ऑटोरिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करनेवाले राजा लिंगायत ने टैक्सी खरीद ली और तब से लेकर आज तक टैक्सी चलाकर ही परिवार का पोषण कर रहे हैं। राजा लिंगायत को तीन बेटियां और एक बेटा है, जिसमें से बड़ी बेटी को उन्होंने एमबीए की शिक्षा दिलवाई। राजा लिंगायत बताते हैं कि गरीबी की वजह से वे भले ही पढ़ाई नहीं कर सके लेकिन उनका सपना था कि वे अपने बच्चों को शिक्षा के उच्च पायदान तक ले जाएंगे, ताकि जिंदगी में कामयाबी हासिल कर वे मजदूर की नौकरी न करें। राजा लिंगायत की दोनों बेटियां और बेटा भी पढ़ाई कर रहे हैं। तकरीबन २७ वर्ष पूर्व राजा लिंगायत के जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जो उनकी इंसानियत और मानव जाति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है। राजा लिंगायत बताते हैं कि करीब २७ वर्ष पूर्व कुर्ला टर्मिनस पर उन्हें एक नन्ही बच्ची लावारिस अवस्था में मिली। काफी खोजबीन के बाद भी जब बच्ची के परिजनों का पता नहीं चला तो उन्होंने बच्ची को अपने पास रख लिया और बच्ची का पालन-पोषण कर न केवल उसे उच्च शिक्षा दिलवाई, बल्कि उसका विवाह भी करवाया। विवाहोपरांत वो बच्ची आज अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी जीवनयापन कर रही है। घाटकोपर के कामराज नगर में राजा लिंगायत एक झोपड़ी में भाड़े के रूम में रहते थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी कमाई से चेंबूर में खुद का घर खरीद लिया है। इसी तरह राजा लिंगायत बताते हैं कि कल्याण में ४ वर्ष के जीतू भोसले नामक लड़के की मां का टीबी की बीमारी के चलते निधन हो गया। मरने से पहले जीतू भोसले की मां ने राजा लिंगायत से प्रार्थना की थी कि वह उसके बच्चे की परवरिश करें। आज २५ वर्ष हो गए राजा लिंगायत ने उस बच्चे को भी पढ़ाया-लिखाया। आज जीतू एक कंपनी में नौकरी कर रहा है। जीतू भोसले की शादी भी राजा लिंगायत ने करवाई। राजा लिंगायत कहते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कोई बड़ा काम नहीं किया, जो कुछ भी हुआ वह परमात्मा ने उनसे करवाया। हो सकता है कि उनके पूर्व जन्म का कुछ प्रारब्ध रहा हो, जिसे उन्होंने इस जन्म में पूरा किया। राजा लिंगायत अपनी दोनों बेटियां और बेटे को भी पढ़ा-लिखाकर अच्छी नौकरी दिलवाना चाहते हैं। राजा लिंगायत का मानना है कि मुंबई शहर की यही दरियादिली है कि एक गरीब आदमी भी न सिर्फ अनाथ बच्चों के बारे में भी सोचता है, बल्कि जिम्मेदारीपूर्वक उनकी परवरिश कर उन्हें उच्च मकाम पर पहुंचा देता है।

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