मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : अपनी मेहनत से चाहते हैं पिता का नाम रोशन करना

मेहनतकश : अपनी मेहनत से चाहते हैं पिता का नाम रोशन करना

अनिल मिश्र

‘मेहनती पुरुष कभी भीख नहीं मांगता है’ इस विचारधारा को साथ लेकर चलनेवाले कर्मवीर रमाकांत पांडेय मध्यमवर्गीय परिवार से थे। रमाकांत पांडेय उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज के रहनेवाले थे। कल्याण के समीप उल्हासनगर कैंप नंबर-१ कमला नेहरू नगर को अपनी कर्मभूमि बनानेवाले रमाकांत पांडेय बड़े भाई के नगरसेवक होने के बावजूद अपनी मेहनत पर सदा गुमान करते थे। मेहनत की कमाई से जो मिलता उसमें अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। किसी भी काम को छोटा न समझनेवाले रमाकांत पांडेय ने मोदी टायर में तीन शिफ्टों में काम किया। कंपनी के बंद होने के बाद उन्होंने सीमेंट की सड़क बनानेवालों के साथ सड़क बनाने का काम किया। इतना ही नहीं, सिर पर बोझा लेकर बरसों तक उन्होंने उल्हासनगर से मुंबई लोकल द्वारा सामान पहुंचाया। इस कार्य को करते हुए कभी रेलवे पुलिस तो कभी टीसी की डांट तक सुनी। श्वान प्रेमी रमाकांत पांडेय कभी मावा, कभी दूध तो कभी बिस्किट लाकर उन्हें खिलाते और पशु सेवा को पुण्य कर्म मानते थे। एक छोटे से मकान में परिवार को लेकर सम्मानजनक जीवन व्यतीत करनेवाले रमाकांत पांडेय का कालांतर में स्वर्गवास हो गया। रमाकांत पांडेय के ज्येष्ठ पुत्र अजय पांडेय धार्मिक क्षेत्र में नाम कर रहे हैं। अजय बताते हैं कि सेंचुरी हाई स्कूल और आरकेटी महाविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद आज जयपुर के रामानंद विश्वविद्यालय से वो शास्त्री की पढ़ाई कर रहे हैं। शास्त्री की पढ़ाई के बाद पीएचडी की इच्छा रखनेवाले अजय कहते हैं कि बचपन से ही उनका झुकाव धार्मिक क्षेत्र की ओर था। दस वर्ष की उम्र से ही वो सुंदर कांड, रामायण पाठ, लोकगीत व पूजा-पाठ कर रहे हैं। ‘मां शारदा’ नामक म्यूजिकल संस्था बनाकर वे धार्मिक कार्य कर रहे हैं। देश के कोने-कोने में जाकर वो अपने गीतों के माध्यम से लोगों के बीच अपनी छाप छोड़ रहे हैं। दिल्ली, उड़ीसा, गुजरात, मैहर देवी के धाम सहित अन्य जगहों पर विगत छह वर्षों से अखंड श्री रामचरित मानस का पाठ करने के साथ ही माता के जागरण में देवी गीत गाकर लोगों का मन मोह रहे हैं। पिता के स्वर्गवास के बाद मां की सेवा करने के साथ भाई-बहनों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। अजय का एक भाई इवेंट करता है, तो दूसरा वैâटरिंग के काम में लगा है। अजय ने आगे बताया कि पीएचडी करने के बाद पहले वो आर्मी में धर्मगुरु के लिए प्रयास करेंगे। उसमें सफलता मिली तो ठीक अन्यथा धर्म प्रचार के लिए कथावाचक बनने का वो कार्य करेंगे। कथावाचकों की संगत में रहनेवाले अजय कहते हैं कि पिता भले ही परिवार को संभालते हुए आम व्यक्ति की तरह श्रम करते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन उनके नाम को विश्व में न सही कम से कम देश में उजागर करने का मेरा सपना है। उनके नाम को सत्मार्ग द्वारा उजागर करना हर पुत्र का धर्म होता है। अजय कहते हैं कि उनके धार्मिक कर्मकांड के गुरु वागीश देव पांडेय तो संगीत के गुरु अनुभव मिश्रा, श्याम बिहारी दुबे और हरीश यादव हैं। अजय कहते हैं, जो भी उन्हें अच्छा ज्ञान देता है वो उसे गुरु स्वरूप मानते हैं।

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