मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : न्याय की राह में जनसेवा का संगम

मेहनतकश : न्याय की राह में जनसेवा का संगम

प्रेम यादव

एडवोकेट राजदेव पाल, जिन्हें लोग प्यार से ‘राजपाल’ भी कहते हैं। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी है। वर्ष १९८० में मुंबई में जन्में राजदेव पाल का जीवन इस कहावत को चरितार्थ करता है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। इन्होंने अपने पिता अलगू पाल से प्रेरणा ली, जिन्होंने गांव से आकर मुंबई में अपने दम पर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का कारोबार स्थापित किया और उद्योगपति के रूप में सम्मान प्राप्त किया। राजदेव पाल की शुरुआती शिक्षा मुंबई में हुई, और इसके बाद इन्होंने बोरीवली के नालंदा कॉलेज से वकालत की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने ठान लिया था कि लक्ष्य बड़ा हो, तो मेहनत भी बड़ी होनी चाहिए, इसी सोच के साथ इन्होंने वकालत के क्षेत्र में कदम रखा। आज, मीरा-भायंदर में इनके तीन कार्यालय हैं, जहां से ये वकालत करते हैं। मीरा-भायंदर के वकालत के क्षेत्र में १३ सालों का अनुभव इन्होंने संजोया है और मीरा-भायंदर क्षेत्र के बड़े और नामचीन वकीलों में इनका नाम लिया जाता है। जटिल आपराधिक मामलों में न्याय दिलाने में इन्होंने अपनी पहचान बनाई है।
राजदेव पाल का जीवन सिर्फ वकालत तक ही सीमित नहीं रहा। ये समाजसेवा और राजनीति से भी गहराई से जुड़े हुए हैं। ‘अगर जिंदगानी में कुछ करना है, तो दूसरों के लिए जियो,’ इस विचार को आत्मसात करते हुए इन्होंने राष्ट्रीय कामगार संघटना में सलाहकार की भूमिका निभाई, जहां संगठन की अध्यक्ष वर्षा उचगांवकर हैं। इसके साथ ही इन्होंने ‘युवा पाल धनगर समाज’ की स्थापना की और इसके अध्यक्ष के रूप में समाज की सेवा में जुट गए। राजदेव पाल का मानना है कि जो दूसरों के लिए जीता है, वही असली इंसान है। इन्होंने समाज के उन गरीब और असहाय लोगों के लिए भी अपने दरवाजे हमेशा खुले रखे हैं जो न्याय की उम्मीद में दर-दर भटकते थे। कई बार इन्होंने बिना किसी फीस के गरीबों के केस लड़े, क्योंकि इनके लिए इंसाफ से बढ़कर कुछ भी नहीं है। समाज में इनके इस नि:स्वार्थ योगदान ने इन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई है। राजदेव पाल का परिवार भी समाज में अपनी अलग पहचान रखता है। इनके दो बड़े भाई, चिंतामणि पाल और राजमणि पाल, अपने-अपने व्यवसायों में सफल हैं। चिंतामणि पाल व्यवसायी हैं, जबकि राजमणि पाल का चश्मे का कारोबार है। इनके परिवार में डॉक्टर और इंजीनियर भी हैं, जो कुल मिलाकर एक संपन्न और सुशिक्षित परिवार का चित्रण करते हैं। राजदेव पाल के दो बच्चे, धैर्य और शौर्य, अभी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। इनके दिल में एक सपना है कि अपने बच्चों को इस काबिल बनाना कि वे समाज के लिए प्रेरणा बनें। कोरोना काल के दौरान, जब लोग घरों में बंद थे, तब राजदेव पाल ने समाज के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन जारी रखा। इन्होंने साबित किया कि जो कठिनाइयों से नहीं डरता, वही सच्चा योद्धा होता है।’ इन्होंने परिवर्तन प्रतिष्ठान के माध्यम से समाज सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है। इनका जीवन न केवल इनकी संघर्षशीलता और दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो सफलता कदम चूमने को तैयार रहती है। राजदेव पाल का जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता है।

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