मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : अपनी लगन के बलबूते कमा रहे हैं नाम

मेहनतकश : अपनी लगन के बलबूते कमा रहे हैं नाम

अशोक तिवारी

मेहनत करना और मेहनत करनेवालों के लिए कुछ अच्छा कर गुजरने की ख्वाहिश ने विनोद प्रजापति को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया, जहां पहुंचने की उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी। देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को बलिवेदी पर चढ़ानेवाले लाखों गुमनाम सपूतों में एक नाम गुजरात के द्वारका जिले के रहनेवाले पूंजा भाई कुंभार का भी है। वर्ष १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में पूंजा भाई कुंभार द्वारकाधीश मंदिर के बगल में ही टोकरा स्वामी नामक मशहूर क्रांतिकारी टोली में शामिल हो गए थे। पूंजा भाई कुंभार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बीच में इतने लोकप्रिय थे कि क्रांतिकारी नाना फडणवीस को जब अंग्रेज ढूंढ रहे थे तब वे बरसों उनके ही आवास में छिपे थे। इस दौरान क्रांतिकारी तात्या टोपे भी नाना फडणवीस से मिलने के लिए आते-जाते रहते थे। वर्ष १९२० में पूंजा भाई कुंभार की पत्नी पमू बाई अपने बेटे खीमजी प्रजापति को लेकर मुंबई आ गर्इं क्योंकि खीमजी प्रजापति के सुभाषचंद्र बोस की सेना आजाद हिंद फौज में शामिल होने से द्वारका में उनके परिवार के पीछे अंग्रेजी हुकूमत बुरी तरह से लग गई थी। कुर्ला आने के बाद खीमजी प्रजापति ने कुर्ला में कोयले और ईट का कारखाना शुरू किया। देशभक्त होने की वजह से उन्होंने कारखाने का नाम भारत कोल वर्क्स रखा। कालांतर में इसी भारत कोल वर्क्स के नाम पर उस कंपाउंड का नाम भारत कोल कंपाउंड हो गया। खीमजी प्रजापति के सबसे छोटे बेटे विनोद प्रजापति फटानिया ने बीकॉम और जर्नलिज्म में डिप्लोमा तक की शिक्षा प्राप्त की। कुछ वर्षों की नौकरी के बाद विनोद ने समाज सेवा शुरू कर दी। विनोद ने वर्ष १९८५ में प्रजापति कुंभार वेलफेयर एसोसिएशन तथा लुनाई माता एजुकेशन ट्रस्ट नामक दो एनजीओ की स्थापना की। इन दोनों सामाजिक संगठनों के माध्यम से विनोद लगभग ४० वर्षों से हजारों विद्यार्थियों को मुफ्त एजुकेशन, स्कूल सामग्री देने के साथ ही अन्य मार्गदर्शन दे रहे हैं। इसके अलावा प्रजापति कुंभार वेलफेयर संगठन के माध्यम से गरीब और शोषित परिवारों की मदद के साथ ही गुजरात के द्वारका पुरी मंदिर के पास अमर कथा तथा भागवत कथा का भी कई बार सफलतापूर्वक आयोजन किया जा चुका है। विनोद ने बताया कि धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों को करने की प्रेरणा उन्हें अपनी पत्नी रमिला से मिली। विनोद के सामाजिक कार्यों को देखते हुए वर्ष २०१४ में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर समाज भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया। इसके अलावा मुंबई शहर के कई संगठनों द्वारा विनोद प्रजापति को उनके सामाजिक कार्यों के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है। वर्तमान में विनोद प्रजापति का एक लड़का अकाउंट कंसल्टेंट तो दूसरा इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस करता है। एक वर्ष पूर्व पत्नी का निधन हो जाने से वे अकेले पड़ गए हैं, लेकिन उनका मानना है कि वे ऐसा करके कोई उपकार नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश के प्रति सामाजिक कार्य करना हर नागरिक का कर्तव्य है। देश के नागरिक को अपने अधिकारों से पहले अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है, तभी देश आगे बढ़ सकता है। विनोद प्रजापति का मानना है कि मेहनत करके इंसान अपने भाग्य को अवश्य बदल सकता है।

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