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मेहनतकश : गरीबों की कर रहे हैं सेवा

सगीर अंसारी

दिल में अगर जनमानस की सेवा करने का जज्बा हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। जरूरी नहीं कि पैसों से ही समाजसेवा की जाए, बल्कि बिना पैसों के अपनी मेहनत से भी समाजसेवा की जा सकती है। गोवंडी के स्लम इलाके में पैदा होनेवाले, यहां की तकलीफ भरी जिंदगी से सबक लेनेवाले और दिल में गरीबों की मदद करने का जज्बा और उनके इलाज को अपना धर्म मानने वाले डॉ. शफी अनवर खान अपनी क्लिनिक के साथ ही बस्तियों में जाकर प्रâी मेडिकल वैंâप के जरिए लोगों की तकलीफों को दूर करने की कोशिश करते हैं। उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर के गांव पाराकमाल खेतासराय में रहनेवाले डॉ. शफी खान के दादा इजहारुल हक का गांव में काफी रसूख था, लेकिन डॉ. शफी के पिता जकी अनवर खान के पैदा होने के कुछ समय बाद ही उनका देहांत हो गया। इसके बाद घर के हालात काफी खराब हो जाने से जकी अनवर की परवरिश उनके ननिहाल में हुई। आजमगढ़ के सरायमीर स्थित मदरसा बैतूल उलूम से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। इसी बीच डॉ. शफी के पिता का विवाह हो गया और उनके चार बच्चे हुए, जिनमें डॉ. शफी सबसे बड़े थे। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनके पिता काम की तलाश में मुंबई आए और कुछ दिनों तक मुसाफिर खाने में रहे और काफी मेहनत के बाद उन्होंने कपड़े का व्यापार शुरू किया और सात वर्षों बाद उन्होंने डॉ. शफी को मुंबई बुलाया। पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव के स्कूल नियाज तालीमी मरकज में करने के बाद डॉ. शफी ने गोवंडी के तकवितुल ईमान स्कूल में दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की। डॉक्टर बनने की चाहत को पूरा करने के लिए डॉ. शफी ने मंसूरा मालेगांव के मोहमादिया तिबिया मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और काफी मेहनत के बाद शफी खान डॉक्टर बने। डॉक्टर बनने के बाद डॉ. शफी ने बचपन से गरीबों के प्रति अपनी सेवा के लिए स्लम क्षेत्र में ही अपना क्लिनिक खोलने का मन बनाया और शिवाजी नगर के रोड क्र. ८ पर अपना दवाखाना शुरू किया, जहां आज भी वे गरीबों की सेवा कर रहे हैं। सपा विधायक अबू हाशिम आजमी से मुतासिर होकर वर्ष २००१ में वो समाजवादी पार्टी से जुड़े और लोगों के स्वास्थ्य के प्रति उनकी रुचि को देखते हुए अबू हाशिम आजमी ने उन्हें डॉक्टर सेल का जिला अध्यक्ष बनाया। समाज के साथ-साथ अपने परिवार को संभालते हुए डॉ. शफी ने अपने एक बेटे को फिजियोथेरेपी डॉक्टर बनाया, जबकि दूसरा बेटा डेंटल कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहा है। यहीं नहीं डॉ. शफी ने गोवंडी व मानखुर्द जैसे स्लम क्षेत्र में मौजूद डॉक्टरों की समस्याओं को देखते हुए अपने साथी डॉ. जाहिद खान के साथ मिलकर एक ‘यूएमए’ नामक एसोसिएशन की शुरुआत की, जिसमें मौजूदा समय में साढ़े चार सौ डॉक्टर हैं।

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