अशोक तिवारी
कहते हैं कि वक्त के साथ इंसान बदल जाता है। अक्सर देखा गया है कि जो इंसान गरीबी से ऊपर उठकर कामयाब व्यक्ति बन जाता है उसके अंदर अहंकार का प्रादुर्भाव हो जाता है और सफल होने के बाद वो अपने साथियों को हेय दृष्टि से देखने लगता है। लेकिन मोहम्मद कासम शेख की कहानी इन सभी से अलग है। जिंदगी के ६४ वर्ष पूर्ण कर चुके मोहम्मद शेख बताते हैं कि उनके पिता कासम शेख आज से करीब ७० वर्ष पूर्व कर्नाटक के उदगीर जिले से मुंबई शहर में रोजी-रोटी की तलाश में आए थे। परिवार बड़ा होने के कारण पारिवारिक खर्च भी बड़ा था। अत: कासम शेख मुंबई शहर की विभिन्न कंपनियों में छोटी-मोटी नौकरी कर अपना जीवनयापन कर अपने परिवार का खर्च उठाते थे। परिवार को आर्थिक रूप से सपोर्ट करने के लिए मोहम्मद शेख ने छोटी उम्र में ही ऑटोरिक्शा चलाना शुरू कर दिया। मोहम्मद शेख बताते हैं कि वर्ष १९७९ से लेकर १९९१ तक उन्होंने मुंबई की सड़कों पर ऑटोरिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया। आर्थिक मदद देने के चक्कर में मोहम्मद शेख की पढ़ाई भी अधूरी रह गई। उन्होंने मात्र चार क्लास तक की शिक्षा प्राप्त की है। वर्ष १९९१ में मोहम्मद शेख ने ऑटो चलाना बंद कर टैक्सीरिक्शा चलाना शुरू किया। तब से लेकर आज तक मोहम्मद शेख टैक्सी चलाकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं। विवाहोपरांत मोहम्मद शेख तीन बच्चों के पिता बने। अपनी ईमानदारी के लिए ऑटोरिक्शा चालकों के बीच बेहद लोकप्रिय मोहम्मद शेख यात्रियों का बेहद सम्मान करते हैं और उन्हें सम्मानपूर्वक उनके गंतव्य स्थान तक छोड़ते हैं। मोहम्मद शेख की ईमानदारी के फलस्वरूप उनके तीनों बच्चे कंस्ट्रक्शन के धंधे में उतर गए और उनका यह व्यवसाय अच्छा-खासा चल निकला। मोहम्मद शेख का एक बेटा आज एक राजनीतिक दल का महाराष्ट्र अध्यक्ष है। जिंदगी अच्छे से गुजर रही थी कि अचानक मोहम्मद शेख के जीवन में ऐसा तूफान आया जो उन्हें पूरी तरह से तोड़कर चला गया। वर्ष २०१६ में मोहम्मद शेख के बेटे की मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में मौत हो गई। बेटे के गम ने मोहम्मद शेख को बुरी तरह से तोड़ दिया लेकिन सहयोगियों के हौसलों और वक्त के साथ घाव भरने के बाद मोहम्मद शेख अपने टैक्सी व्यवसाय में लौट आए। मोहम्मद शेख कहते हैं कि उनके बच्चे बार-बार उनसे आग्रह करते हैं कि वो टैक्सी का धंधा छोड़ दें, लेकिन मोहम्मद शेख को यह पसंद नहीं है। उनका कहना है कि जिस टैक्सी की बदौलत उन्होंने अपने परिवार और बच्चों को कामयाबी दिलाई उसे चलाना वे ताउम्र जारी रखेंगे। मोहम्मद शेख की खुद्दारी को देखते हुए अब उनके बच्चों ने भी उन्हें टैक्सी चलाने से रोकने की बात कहनी बंद कर दी है। मोहम्मद शेख का कहना है कि उन्हें मुंबई शहर से बहुत प्रेम है, क्योंकि मुंबई का दिल इतना बड़ा है कि वो हर इंसान को प्यार देकर जिंदगी में उसे मनचाहा मुकाम दिलाती है।