अशोक तिवारी
अंधेरा घना हो तो ये बेहतर है जुगनू के लिए
शिद्दत से जो चमका, सितारा हो जाएगा
इस शेर को लिखनेवाले अविनाश त्रिपाठी की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही थी। आसपास घना अंधेरा और उस अंधेरे में चमकने की शिद्दत से कोशिश करते अविनाश त्रिपाठी। बहुत से नौजवानों के लिए प्रेरणा बन चुके अविनाश त्रिपाठी का शुमार मीडिया और एंटरटेनमेंट जगत की उन शख्सियतों में से एक है, जिन्होंने मीडिया के सभी क्षेत्रों में अलग और मौलिक रूप से काम करके अपना नाम कमाया है।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक स्कूल के कार्यक्रम में नाटक और मंच संचालन के साथ ही किशोरावस्था में विख्यात थिएटर ग्रुप के साथ नाटक और साहित्य लेखन उन्होंने शुरू कर दिया था। छोटे शहर की सीमाएं अब अविनाश को कचोट रही थीं। जल्दी ही सपनों को उड़ान देने के लिए अविनाश बस्ती से लखनऊ पहुंच गए। लखनऊ का इल्म और अदब से भरा मिजाज धीरे-धीरे अविनाश की रगों में बहने लगा। ये वही दौर था जहां अविनाश को उर्दू जबान और गजल की अदायगी भाने लगी। बहुत जल्द ही अविनाश लखनऊ की अदबी और थिएटर महफिल का जरूरी हिस्सा हो गए। बेहद कम उम्र में सलाहियत का ये सबब मिला कि शुरुआती दौर में ही अविनाश को दूरदर्शन के प्रोग्राम का एंकर बनने का मौका मिला। लखनऊ में कई बड़े प्रोग्राम करने के बाद अविनाश मुंबई पहुंचे। इसी बीच वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अटैक और फिर मुंबई ट्रेन ब्लास्ट ने कवि हृदय अविनाश को बुरी तरह झकझोर दिया। अपनी रचनात्मक प्रतिभा से अविनाश ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर बेहद सशक्त शॉर्ट फिल्म ‘अब बस’ का निर्माण किया। इसी बीच अविनाश को इंडो अमेरिकन फिल्म में सह निर्देशन का मौका मिला। जिम्मी लू स्टीमबॉर्ग और एनएल नायक की फिल्म ‘सहिया’ में अविनाश, पंकज त्रिपाठी सरीखे अभिनेता के साथ फिल्म की हर परत पर छाते चले गए। मुंबई में अविनाश ने सैकड़ों लघु फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया, जिनमें से कई फिल्मों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। अविनाश ने राजस्थान पत्रिका ग्रुप के लिए सिनेमा पर अपना कॉलम ‘तीसरा पहलू’ लिखना शुरू किया। यही नहीं अविनाश कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के सलाहकार और ज्यूरी मेंबर बन गए। अपनी लेखन प्रतिभा का विस्तार करते हुए उन्होंने गीत लिखना शुरू किया। अविनाश के गीतों को शान, कविता कृष्णमूर्ति, कविता सेठ, अन्वेषा, अभिषेक रे जैसे कलाकारों ने अपनी आवाज से सजाया। आज अविनाश मुंबई के सिनेमा लेखन में बेहद सक्रिय हैं और कई बड़े कॉर्पोरेट, प्रोडक्शन हाउस के लिए स्क्रिप्ट लिखने के साथ ही उनकी फिल्मों के लिए बेहद खूबसूरत गीत भी लिख रहे हैं। अविनाश को उनकी प्रतिभा के लिए अब तक १५० से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।