मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : डॉक्टर बनने की तमन्ना पूरी हुई

मेहनतकश : डॉक्टर बनने की तमन्ना पूरी हुई

अनिल मिश्र

उल्हासनगर में वैसे तो सौ के करीब अस्पताल तथा इसके अलावा हजारों तरह तरह के पैथ के डॉक्टर देखे जा सकते हैं। इन्ही में से एक ऐसे भी चिकित्सक हैं जो डॉक्टर बनना चाहते थे, परंतु परिस्थितियों ने जोरदार का झटका दिया। संभलते-संभलते आज योग चिकित्सक बनकर कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का इलाज कर रहे हैं। तीन निजी तथा एक सेवा भावी केंद्र में अपनी सेवा देकर जीवन जीने की आस छोड़ बैठे लोगों की सांस को बढ़ाने में लगे हैं। डॉ. कमलेश जशनानी कहते हैं कि सकारात्मक सोच, तनावमुक्त रहकर एक बार यमराज को भी परास्त किया जा सकता है।
कमलेश जशनानी का कहना है कि उनके पिता श्री मोहनलाल १२ वर्ष की आयु में पाकिस्तान हिंदुस्थान के बंटवारे में उल्हासनगर आए। ५८ वर्ष पूर्व प्लास्टिक के सामान से तरह-तरह के चौकोर आकर्षक सामान बनाकर मुंबई में बेचते थे। बटन, मोती, कपास, ऊन से हाथी, घोड़े, खरगोश जैसे तमाम तरह के जीवों को बनाकर कपास पर रखकर फोटो को कपड़े पर रखकर उसको प्रâेम करते थे। पिता जी को व्यवसाय पसंद था। इस कारण उन्होंने दो अपने भाइयों को नौकरी छुड़वा कर व्यवसाय में लगा दिया। उनके तीन भाई एक बहन हैं। उनकी बारहवी साइंस की पढ़ाई उल्हासनगर के आर.के.टी. महाविद्यालय में शुरू हुई थी। इसी बीच माटुंगा स्थित दुकान में आग लग गई। कपास, मोती, बटन, कपड़े सब जलकर खाक हो गए। इस हादसे से आर्थिक हानि हुई। इस कारण बारहवी की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ देनी पड़ी। पिता की कठिन मेहनत को देखकर वे भी हाथ बंटाने लगे। डॉक्टर बनने का सपना चकनाचूर हो गया।
इसके बावजूद कमलेश अपने दादा दौलत चंदवानी के संपर्क में आए। दादा ने पहली बार उल्हासनगर में स्वामी शांति प्रकाश प्राकृतिक योग केंद्र शुरू किए। दादा उनके गुरु थे। दादा ने कमलेश के अलावा शहर के इच्छुक लोगों को बाहर से मोटी रकम देकर प्रशिक्षक मंगवाकर नि:शुल्क प्रशिक्षण दिलवाए। दादा ने १२ दिन के लिए उल्हासनगर के साथ ही अन्य जगह के सिंधी परिवार के स्वास्थ्य के लिए दुबई योग करने के लिए अपने खर्च से भेजे। कमलेश की आज उल्हासनगर में तीन निजी तथा एक स्वामी शांति प्रकाश योग केंद्र में नेत्र से चश्मा हटाने के अलावा मोटापा, शुगर, रक्तदाब, तरह-तरह के कैंसर का उपचार कर रहे हैं। वे बताते हैं कि कैंसर असाध्य नहीं, बल्कि साध्य रोग है। कैंसर ही नहीं शुगर, रक्तदाब जैसे रोग सकारात्मक सोच के अभाव, खानपान, रहन-सहन पर निर्भर करता है। आज कई राष्ट्रीय स्तर के योग इंस्टीट्यूट में जाकर प्रशिक्षण ले चुके हैं। उल्हासनगर में १५ योग संस्था के माध्यम से ५० के करीब योग केंद्र चल रहे हैं। डॉ. कमलेश का कहना है कि योग के मार्फत उपचार कर उनकी छवि एक डॉक्टर के रूप में है। वे देश व महाराष्ट्र सरकार के द्वारा संचालित विद्यालय से भी प्रशिक्षण लेकर लोगों को स्वास्थ्य ठीक करने का काम कर रहे हैं।

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