मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : लोगों की सेवा को मानते हैं अपना धर्म

मेहनतकश : लोगों की सेवा को मानते हैं अपना धर्म

सगीर अंसारी

दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो जिंदगी के उतार-चढ़ावों से हार न मानते हुए अपनी मेहनत के दम पर अपनी किस्मत को बदल देते हैं। ऐसे ही नवयुवक मेराज सिराज अंसारी ने भी काफी तकलीफों के बावजूद अपनी तरक्की की उड़ान को नहीं रोका। समाजसेवा को विरासत में पानेवाले मेराज अंसारी के पिता सिराज अंसारी १९७० में उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा, गांव मोतीगंज से मुंबई आए और अपनी मेहनत के बलबूते अपने व्यापार को उन्होंने खड़ा किया। अपने बच्चों की अच्छी परवरिश की खातिर उन्होंने काफी मेहनत की। दसवीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेराज अंसारी ने व्यापार की ओर रुख किया और व्यापार में नुकसान होने के बाद एक निजी कंपनी में काफी कम पगार पर काम किया। इसी दौरान मेराज को एक नामी कंपनी में नौकरी मिल गई, जहां सात वर्षों तक काम कर उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण किया। इस नौकरी में ज्यादा लाभ न मिलने के कारण मेराज ने वर्ष २०१३ में फिर से अपना व्यापार शुरू किया। मेराज की मेहनत को देखते हुए बॉस और सीमेंस कंपनी ने उन्हें पहली बार बतौर पार्टनर पुणे और गोवा में सर्विस सेंटर में लिया। अपनी मेहनत के बलबूते सफलता हासिल करनेवाले मेराज ने परिवार की हर ख्वाहिश को पूरा किया। साथ ही अपने भाइयों के कारोबार में उनका साथ दिया। देश के हालात को देखते हुए मेराज अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल होकर दिल्ली पहुंचे और आम आदमी पार्टी के मुख्यालय व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से प्रेरित होकर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र के लोगों के दुख में शामिल होकर उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करते हुए उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया। इसके साथ ही मुंबई में आम आदमी पार्टी को बढ़ाने की उन्होंने जद्दोजहद शुरू कर दी और मुंबई से लेकर देश के कोने-कोने तक पार्टी को पहुंचाने के लिए हवाई जहाज से लेकर ट्रेन तक अपने खर्चे पर यात्राएं की। अपने क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त करने के लिए बायो वेस्ट (एसएमएस) कंपनी को बंद करवाने के लिए गली से लेकर दिल्ली तक लड़ाई में शामिल रहे। साथ ही एनआरसी कानून के विरोध में लोगों के साथ डटकर मैदान में खड़े रहे। २०१९ में कोरोना के दौरान अपनी जिंदगी की परवाह न करते हुए वो लोगों के बीच गए और उनकी हर संभव मदद की। साथ ही गोवंडी में अप्रवासी मजदूरों के लिए किचन बनाकर वहां से रोजाना हजारों लोगों को पावभाजी पहुंचाया। गरीबों की मदद के लिए उनके कार्यालय से राशन बांटा जाता था। परेशान मजदूरों को उनके गांव तक पहुंचने में उन्होंने उनकी मदद की। मेराज की इस मेहनत को देखते हुए अबू हाशिम आजमी ने उन्हें समाजवादी पार्टी में शामिल होने की पेशकश की, जिसे स्वीकार करते हुए मेराज अंसारी २०२३ में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। आज भी मेराज अंसारी लोगों की सेवा को अपना धर्म मानकर समाजसेवा के साथ अपने परिवार के उज्ज्वल भविष्य के लिए मेहनत कर रहे हैं।

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