संजय राऊत
जो भूत-प्रेतों के अस्तित्व पर शोध करना चाहते हैं और इसका अनुभव करना चाहते हैं, उन्हें विंडसर कैसल परिसर में दो रातें बितानी चाहिए। यह जगह ब्रिटेन के शाही परिवार की है। सभी ‘शाही’ लोगों को यहीं दफनाया जाता है। भव्य होटल, इमारतें, महल खूबसूरत हैं, लेकिन इनमें से कई इमारतों पर ‘आत्माओं’ का साया है। विंडसर प्रशासन ने खुद इन इमारतों को भुतहा घोषित कर दिया है। प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित लेख।
लंदन से ४० किमी दूर विंडसर है। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव का मतदान खत्म होते ही विंडसर जाने का संयोग बना। पैंडिंगटन स्टेशन से ट्रेन द्वारा ऑस्टरली जाएं। विंडसर एक संपन्न गांव है और इसका इंग्लैंड के साम्राज्यशाही और राजवंश से गहरा संबंध है। इस गांव पर एक अदृश्य शक्ति का साया है। गांव में शाही वैभव के निशान हैं। इस गांव का इतिहास १,००० साल पुराना है। इंग्लैंड के शाही परिवार का राजवाड़ा ‘विंडसर कैसल’ यहां दिमाग में तो खड़ा है, लेकिन कई राजाओं और रानियों की तरह, ‘विंडसर’ का पूरा क्षेत्र चिरनिद्रा में सोता हुआ प्रतीत होता है। विंडसर में शाही महलों के साथ-साथ कई सरदारों और वतनदारों की कई छोटी-मोटी हवेलियां भी हैं। यहां कई शानदार इमारतें भी हैं। इन इमारतों में लोगों की आवाजाही कम है, क्योंकि ये इमारतें भुतहा हैं और माना जाता है कि यहां भूत-प्रेत घूमते हैं। विंडसर शाही परिवार की पसंदीदा जगह है। इसलिए शाही परिवार के कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को उनकी मृत्यु के बाद यहीं दफनाया जाता है। महारानी एलिजाबेथ को भी विंडसर कैसल में ही दफनाया गया था। कैसल परिसर में सेंट जॉर्ज चैपल है। महारानी को वहीं मिट्टी दी गई। महारानी के पति प्रिंस फिलिप्स को भी यहीं दफनाया गया है। इस क्षेत्र में कई राजघरानों, सरदारों, योद्धाओं की कब्रें आज भी मौजूद हैं। विंडसर कैसल १३ हेक्टेयर में फैला हुआ है। थेम्स नदी के किनारे यह महल और कई आलीशान घर देखे जा सकते हैं। लेकिन उनमें कोई इंसान और जीवन नहीं हैं। पूरे क्षेत्र में निराशा का माहौल नजर आता है। लोगों का कहना है कि इस गांव पर डर और भूत-प्रेत का साया रहता है। हर जगह भूत-प्रेत की कहानियां हैं।
टेढ़ी-मेढ़ी इमारत
ऑस्टरली रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही बाईं ओर एक झुकी हुई इमारत है। ‘टेढ़ी’ इमारत किसी भी वक्त ढह जाएगी, ऐसा लगता है। क्रुकेड हाउस, जिसे मार्केट क्रॉस हाउस के नाम से भी जाना जाता है, वो हैट स्ट्रीट, विंडसर पर स्थित एक इमारत है। एक समय इस इमारत में खासी रौनक थी। यहां एक कॉफी हाउस था और गांव के लोग शाम को यहां आकर कॉफी पीते थे। अब यह भवन वीरान हो गया है। इस इमारत में एक महिला का भूत रहता है। एक महिला देर रात अकेले ‘टी हाउस’ में आती है और फिर गायब हो जाती है। वह किचन में भी जाती है। उसके कदमों की आहट सीढ़ियों से ऊपर जाते हुए महसूस होती है। इसलिए टी और कॉफी रूम जल्दी बंद कर दिए जाने लगे। इसके बाद यहां काम करने वाला कर्मचारी वर्ग शाम के बाद यहां रुकता नहीं था। यह आकर्षक भवन वीरान हो गया। अब इस इमारत में कोई भी प्रवेश नहीं करता। सामने के फुटपाथ से लोग इस भुतहा इमारत को देखकर डर जाते हैं। यह डर भी पर्यटन का ही एक हिस्सा है।
खुली, सुनसान सड़कें
विंडसर की सड़कें दिन में भी खुली और सुनसान रहती हैं। यहां अमीरों, राजघरानों के कई रंग-बिरंगे घर और उनके आगे-पीछे हरियाली है। लेकिन मुझे कहीं भी लोगों की आवाजाही नहीं दिखी। यहां हजारों एकड़ खेत और खलिहान हैं। एक बड़े से खेत में सौ से अधिक गायें चर रही थीं। बताया गया कि ये विंडसर महल की गायें हैं। उन गायों में भी कोई उत्साह नहीं था। महल में कोई नहीं है। गांव में कोई नहीं हैं। तो इतनी सारी गायों का दूध जाता कहां है, ये सवाल मेरे मन में आया। टेम्स नदी के दक्षिणी तट पर इतिहास में बहुत सी अप्रिय घटनाएं घटीं। लोगों को मारकर वहीं के वहीं दफना दिया गया। विंडसर का टॉवर इन सभी घटनाओं का गवाह है। इस टॉवर के आस-पास आत्माएं घूमती होंगी। इस टॉवर के नीचे वाली इमारत में मिसेस मेरी पार्सन्स रहती थीं। उनके पति एक आर्मी ऑफिसर थे। मिसेस मेरी पार्सन्स को कई विचित्र और अदृश्य शक्तियों की मौजूदगी का आभास होता था। उनके बेडरूम का दरवाजा अंदर से ‘लॉक’ होने के बावजूद अक्सर अपने आप खुल जाता था। दरवाजे का ‘हैंडल’ घुमाकर कोई अंदर आया और वह अदृश्य शक्ति उनके पति के सिरहाने खड़ी है, ऐसा मिसेस मेरी को कई बार महसूस हुआ। उस भारी-भरकम दरवाजे और उसके लोहे के हैंडल को इतनी आसानी से कौन और कैसे खोलता होगा, यह एक रहस्य ही था। बगल में कर्फ्यू टॉवर (Curfew Tower) है। उस टॉवर से भूत-प्रेत की कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। रात में जब सब शांत होता है तो कोई टॉवर्स की सीढ़ियों पर बातें कर रहा है, सीढ़ियों पर चल रहा है। बीच-बीच में किसी को जोर-जोर से चिल्लाते हुए लोग आज भी सुनते हैं।
लाइब्रेरी का भूत
‘किंग चार्ल्स घ्’ के भूत को कई लोगों ने कई बार इस परिसर में महसूस किया है। कई लोग पुराने संदर्भों को खंगालने के लिए दिन में रॉयल लाइब्रेरी में आते हैं, इनमें इतिहास पढ़ने वाले छात्र होते हैं। रॉयल लाइब्रेरी पहले चार्ल्स का निवास स्थान था। बाद में इसे एक पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया गया। इस वास्तु में दो बेडरूम बरकरार हैं और शाम के बाद दोनों बेडरूम और बाथरूम में हलचलें महसूस की गईं। देर रात स्वयं ‘चार्ल्स घ्’ को कई लोगों ने लाइब्रेरी में मुख्य कुर्सी पर बैठे सिगार पीते हुए अनुभव किया है। अब इस रॉयल लाइब्रेरी और पूरी इमारत को ‘भुतहा’ घोषित कर दिया गया।
भूतों पर विश्वास
इंग्लैंड के लोग वैज्ञानिक और प्रगतिशील विचारोंवाले हैं, लेकिन उनका मानना है कि विंडसर और उसके आसपास भूत-प्रेत और प्रेतबाधित इमारतें हैं। भारत में इसे अंधविश्वास कहा जाता है। महाराष्ट्र में तो भूत-प्रेत और पिशाच के नाम पर पाखंड करनेवालों के खिलाफ अंधविश्वास विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की जाती है। इंग्लैंड में ऐसा कुछ नहीं है। महाराष्ट्र के राजनेताओं ने सत्ता स्थापित करने के लिए असम के कामाख्या देवी के मंदिर में कई भैंसों की बलि दी। ‘वर्षा’ बंगले पर मिर्ची यज्ञ जैसे कार्य किए गए। भूत-प्रेतों को वश में करके सत्ता स्थापित करने का तंत्र जैसे भारत में है, वैसे इंग्लैंड में नहीं है। विंडसर में प्रेतबाधित इमारतें अपना-अपना जीवन जी रही हैं। इंग्लैंड में एक उप्देू ण्त्ल्ं है। जिन लोगों को भूतों का अनुभव हुआ है, वे इस क्लब के सदस्य हैं। ब्रायन लैंगस्टन कुछ समय तक थेम्स वैली पुलिस स्टेशन के मुख्य कांस्टेबल थे। बाद में उन्होंने विंडसर और इटन के लिए पुलिस प्रमुख के रूप में कार्य किया। उस दौरान उनका विंडसर में कई भूतों और प्रेतबाधित इमारतों से संबंध जुड़ा। पुलिस बल से सेवानिवृत्त होने के बाद ब्रायन ने विंडसर और थेम्स के तटों पर भटकती आत्माओं पर शोध करना शुरू किया और पाया कि ये आत्माएं थेम्स के किनारों पर भटकती हैं। ब्रायन लैंगस्टन ने ‘True Ghosts and Ghouls of Windser & Eton’ नामक किताब लिखी और विंडसर के भूतों को दुनिया के सामने लाया। विंडसर में प्रेतबाधित भव्य वास्तु और उसकी आत्माओं पर शोध करने के लिए ब्रायन पर अंधविश्वास विरोधी समूहों द्वारा मुकदमा नहीं चलाया गया। ईस्वी सन् २००० के नवंबर महीने में थेम्स नदी किनारे दो पुलिसकर्मियों ने टहलते समय पार्क में दो बच्चों को खेलते हुए देखा। रात के ११ बजे ये बच्चे यहां कैसे? बच्चे अपनी वेशभूषा से बिल्कुल राजसी लग रहे थे। दोनों पुलिस पार्क का गेट खोलकर अंदर घुस गए, लेकिन बच्चों का कोई पता नहीं चला। इन बच्चों का अनुभव कई लोगों ने किया है। पार्क अब स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। रॉयल ऐडलेड होटल किंग्स रोड पर स्थित है। यह रानी ऐडलेड का महल था। यहीं रानी की मृत्यु हो गई। पैलेस के ११० कमरों को एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया, लेकिन उसके बाद समय-समय पर कई पर्यटकों ने यहां रानी की उपस्थिति देखी और इमारत को भुतहा घोषित कर दिया गया। लंदन में रहते हुए मैंने विंडसर में किंग स्ट्रीट के इस होटल में जाने की कोशिश की। तब ऐसा मत करो, रानी का निवास अभी भी अंदर है, ऐसा बोलकर मुझे रोक दिया गया। उस समय रात के १०.३० बज रहे थे और मैंने देखा कि उस खूबसूरत, भव्य पैलेस होटल में कुछ लाइटें जल रही थीं। ४६, किंग रोड पर ऐसे कई छोटे पैलेस हैं और यह शाम ५ बजे के बाद अपने आप बंद हो जाता है। सभी संरचनाएं अस्वाभाविक रूप से गतिशील प्रतीत होती हैं। पर्यटक और ग्रामीण भी उस क्षेत्र में जाने से बचते हैं। यहां एक कहानी प्रचलित है कि रात १०:०० बजे के बाद राजा हेनरी अपने घोड़े से विंडसर की गश्त लगाते हैं और अगर कोई उनके सामने आता है तो वह जिंदा नहीं बचता है। विक्टोरिया रोड पर स्थित न्यू ब्रिटिश स्कूल में अब छात्रों का नहीं, बल्कि आत्माओं का वास है। १९८० में जब यह साबित हो गया कि यहां आत्माएं घूमती हैं तो इस इमारत को तोड़ दिया गया और वहां शिक्षा विभाग का कार्यालय बनाया गया। लेकिन शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि एक सैन्य अधिकारी जोसेफ चारजोर का भूत इस जगह पर घूमता है और शाम को जूते चटकाते हुए वह सीढ़ियों पर चढ़ता है। किंग रोड के लॉन्ग वॉक हाउस में कई लोगों ने एक बूढ़ी औरत का भूत देखा है। कई लोगों का मानना है कि वह शायद शाही परिवार की सदस्य हैं। विंडसर में स्कूल, अस्पताल, ऑपेरा थिएटर्स भुतहा हैं। थेम्स स्ट्रीट पर स्थित प्ले हाउस, सिनेमा भवन को भूतों की मौजूदगी के कारण जमींदोज कर दिया गया। यहां पीस स्कॉड स्ट्रीट पर एलिजाबेथ हाउस १६वीं शताब्दी में बनाया गया था। वहां अब एक व्यावसायिक संकुल है। वहां के कर्मचारी का कहना है, हमारे यहां का ‘तापमान’ अचानक ऊपर-नीचे होता रहता है। शाम होते ही सीढ़ियों पर कदमों की आहटें सुनाई देती हैं और हमारी हालत खराब हो जाती है। विंडसर की अधिकांश इमारतें और सड़कें प्रेतबाधित हैं और लोगों ने इसे स्वीकार किया है। मुख्यत: विंडसर प्रशासन ने ही ऐसे निर्देश जारी किए हैं।
अपने देश में
विंडसर की तरह ही महाराष्ट्र और देश में कई महल और सरदारों के पैलेस हैं। इन सभी महलों और परिसर में कई हादसे हुए, लेकिन क्या विंडसर की तरह यहां भी आत्माएं हैं? पर्यटकों का कहना है कि पुणे के शनिवारवाड़ा में ऐसा आभास होता है। जब नारायणराव पेशवा की महल में हत्या हुई तो ‘काव्ाâा मुझे बचा लो’, ऐसी पुकार उन्होंने लगाई। नारायण राव आगे-आगे भाग रहे थे और हत्यारा उन पर तलवारों से वार करते हुए पीछे-पीछे भाग रहे थे। तत्कालीन छोटे नारायणराव पेशवा की पुकार, ‘काका मुझे बचा लो’ ने शनिवारवाड़ा को हिलाकर रख दिया। शनिवारवाड़ा में आज भी वही चीखें सुनाई देती हैं और वैसा ही आभास होता है, ऐसा कई लोगों का कहना है। बनारस, काशी के गंगा किनारे और इमारतों में कई भुतहा जगहें हैं। गंगा के कई घाट इसके लिए कुख्यात हैं। यहां आत्माएं भटकती हैं। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर में आत्माओं का वास है। आज भी यहां चीखें सुनाई देती हैं। १८वीं शताब्दी का चेत सिंह किला यहीं है। सूरज ढलते ही अंदर से गाने की और संगीत कार्यक्रम की आवाजें आती हैं। इस किले में कई सुरंगें हैं, जिनमें पहले कई शव फेंके गए हैं। यहां किले के रक्षक की आत्मा भटकती है। यूरोप, अफ्रीका में विंडसर जैसी कई भुतहा जगहें हैं। दिल्ली कोई अपवाद नहीं है। ये भुतहा इमारतें पूरी दुनिया में हैं। विंडसर कैसल और पूरे क्षेत्र में इन संरचनाओं को देखा और अनुभव ले पाया। महाराष्ट्र के अंधविश्वास उन्मूलन कार्यकर्ता ‘विंडसर’ में बेहतर काम कर सकते हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी जाकर भैंसों की बलि दी और आत्माओं को जागृत किया। ये सारी आत्माएं आज किन भुतहा इमारतों में भटक रही हैं?