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यूपी से आए हैं चुनाव लूटने! … मुंबई पुलिस को सता रहा ` ४ से ५ हजार के तमंचों का डर!

सामना संवाददाता / ठाणे
विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। चुनाव में हथियारों का इस्तेमाल होने की संभावना को ध्यान में रखकर मुंबई पुलिस एलर्ट मोड पर है। लेकिन यूपी और मध्य प्रदेश से आनेवाले अवैध तमंचों चुनाव में वोट लूटने और सत्ता पलटने का काम कर सकते हैं। इसलिए मुंबई पुलिस को ४ से ५ हजार रुपए में मिलनेवाले तमंचों का डर सताने लगा है। बता दें कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू होने के बाद ठाणे पुलिस ने लाइसेंस धारकों को पिस्तौल, रिवॉल्वर जैसे हथियार जमा कराने का आदेश दिया है। चुनाव से पहले ठाणे पुलिस आयुक्तालय की सीमा में लगभग ४,००० हथियार जमा किए जाएंगे, लेकिन पुलिस के सामने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों की तस्करी की चुनौती भी खड़ी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने ऐसे हथियारों को पकड़ने के लिए नाकाबंदी के साथ-साथ मुखबिरों का नेटवर्क भी तैनात किया है।
एलर्ट मोड पर मुंबई-ठाणे पुलिस…
हाल ही में बिश्नोई गैंग के तीन शार्प शूटर आए और मुंबई में बाबा सिद्दीकी पर सीधे फायरिंग कर दी। इसमें सिद्दीकी की मौत हो गई। इसके बाद मुंबई और ठाणे पुलिस एलर्ट मोड में आ गई है। ठाणे समेत राज्यभर में चुनाव के मद्देनजर हथियारों के इस्तेमाल पर रोक का आदेश जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक, लाइसेंस धारकों को भी अपने हथियार संबंधित पुलिस स्टेशन में जमा कराने का आदेश दिया गया है। यहां तक ​​कि जिन लोगों को असाधारण हथियार ले जाने की अनुमति है, उन्हें भी चुनाव प्रचार और बैठकों के दौरान हथियार न ले जाने का आदेश दिया गया है। ऐसे निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा चलाया जाएगा। पुलिस की अपील के बाद ठाणे सिटी पुलिस आयुक्तालय के अधिकार क्षेत्र के तहत ठाणे, भिवंडी, कल्याण, उल्हासनगर और वागले एस्टेट के पांच सर्किलों के ३५ पुलिस स्टेशनों में राजनेताओं और आम नागरिकों द्वारा एक हजार से अधिक हथियार जमा किए गए हैं। संकेत है कि बाकी हथियार भी जल्द ही जमा कर लिए जाएंगे।
इन राज्यों से होती है तस्करी
मध्य प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर और उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, कानपुर से ठाणे के मुंब्रा, वागले एस्टेट, कलवा, मीरा-भायंदर और घोड़बंदर रोड जैसे इलाकों में हथियारों की तस्करी की जाती है। रिवॉल्वर, गावटी कट्टा, पिस्तौल गुणवत्ता के आधार पर ४,००० से लेकर १ लाख रुपए तक में बेचे जाते हैं। शिकलगर सहित कुछ गिरोह ऐसे हथियार तस्करी में शामिल हैं। चुनाव के दौरान ऐसे हथियारों की भारी मांग रहती है। ये बिना लाइसेंस के हैं, इसलिए इनका कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए इन हथियारों को बेचने वालों के नेटवर्क का पता लगाना और उनके बारे में जानकारी रखना पुलिस के लिए चुनौती है।

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