– हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा की कार्रवाई एक बार फिर सवालों के घेरे में है। दो हफ्ते पहले रेलवे स्टेशनों को फेरीवालों से मुक्त करने के निर्देश दिए गए थे। इसके तहत सीएसएमटी, चर्चगेट और अन्य रेलवे स्टेशनों के बाहर फेरीवालों पर कार्रवाई भी हुई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में प्रशासन की सख्ती कागजी साबित हुई और दोपहर के बाद फिर से फेरीवालों का जमावड़ा लग गया।
रिपोर्ट की मानें तो मुंबई हाई कोर्ट ने शहर के २० प्रमुख इलाकों को फेरीवालामुक्त रखने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी रेलवे स्टेशनों से १५० मीटर के दायरे में फेरीवालों पर सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके, मनपा इन आदेशों का पालन कराने में विफल रही है। अब सवाल उठता है कि जब अदालतों के आदेशों का पालन नहीं हो रहा तो मनपा की कार्रवाई कितनी प्रभावी है।
मनपा और फेरीवालों की मिलीभगत
मनपा समय-समय पर फेरीवालों के खिलाफ अभियान चलाती है, लेकिन कुछ ही दिनों में वे फिर से अपनी जगह पर लौट आते हैं। यह सवाल उठता है कि क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए होती है? क्या मनपा के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से फेरीवालों को फिर से बसने दिया जाता है?
स्थानीय लोग परेशान, व्यापारी नाराज
सीएसएमटी और चर्चगेट के यात्रियों का कहना है कि सुबह कार्रवाई होती है, लेकिन शाम होते ही फेरीवाले वापस लौट आते हैं। दादर और अन्य स्टेशनों के बाहर के व्यापारियों ने भी शिकायत की है कि कुछ दिनों की कार्रवाई के बाद फेरीवाले फिर से कब्जा जमा लेते हैं। स्थानीय व्यापारियों ने मनपा से स्थाई समाधान की मांग की है, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।