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बड़े बेआबरू होकर, खुद ही के कूचे से वो गुजरे…गडकरी ‘गप्प’!..संघ के कार्यक्रम में चुप रहने को मजबूर हुए केंद्रीय मंत्री

रामदिनेश यादव / मुंबई

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं, जिसके चलते सभी राजनीतिक दलों के नेता उनका सम्मान करते हैं। लेकिन उनकी ही पार्टी के नेता उनके ही क्षेत्र में उनका सम्मान करने की बजाय उन्हें नीचा दिखाने का काम कर गए। बात कर रहे हैं कल रविवार को नागपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर आयोजित कार्यक्रम की। जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के सामने ही गडकरी को पीएम मोदी ने नजरंदाज किया और गडकरी वहां ‘गप्प’ (चुप) रहे। उन्हें बोलने नहीं दिया गया।
गडकरी से मोदी की नाराजगी इस कदर सामने आई कि एक ही मंच पर होने के बावजूद पीएम ने गडकरी की ओर देखा तक नहीं। हद तो तब हो गई, जब गडकरी के गढ़ में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया गया। ऐसे में गडकरी की हालत ‘बड़े बेआबरू होकर, खुद के कूचे से वो गुजरे’ जैसी हो गई। सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी के दबाव में आरएसएस के कार्यक्रम में गडकरी चुप रहने को मजबूर हुए। गडकरी को कार्यक्रम के दौरान भाषण देने का मौका ही नहीं दिया गया।
पार्टी को तकलीफ देता है गडकरी का सच!
आरएसएस से जुड़े माधव नेत्रालय के भूमिपूजन समारोह में कल प्रधानमंत्री मोदी आए थे। इस दौरान उन्होंने दीक्षाभूमि सहित कई ठिकानों का दौरा किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी उनके दौरे में शामिल थे, लेकिन उन्हें कहीं पर भी बोलने का मौका नहीं दिया गया। दरअसल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर सच बोल जाते हैं, जो कई बार उनकी ही पार्टी के लोगों को तकलीफ दे जाता है। भाजपा के कुछ शीर्ष नेता भले उन्हें पसंद नहीं करते, लेकिन इसी वजह से उनके सभी राजनीतिक दलों के साथ अच्छे संबंध हैं। उन्होंने कई बार सरकार की गलत नीतियों की आलोचना भी की है। उनके कई बयानों ने देशभर में चर्चा पैदा की है। २०२४ के लोकसभा चुनाव से पहले उनके कुछ विवादित बयानों की वजह से वह मुश्किल में भी फंसे थे। क्या उनका मंत्री पद का सफर कांटों भरा रहा? अब भी उनके सिर पर दुधारी तलवार लटक रही है।

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