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हेल्थ सेक्टर हुआ फेल! … १०० में से २५ अंक भी नहीं मिल सके

– २३ अंकों के साथ फिसड्डी साबित हुआ विभाग
– जन आरोग्य अभियान के रिपोर्ट कार्ड ने किया खुलासा
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर बारीकी से नजर रखनेवाले जन आरोग्य अभियान ने घाती सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किए गए कार्यों का लेखा-जोखा पेश किया है। इस रिपोर्ट कार्ड ने घाती सरकार को फिसड्डी करार दिया है। इसमें बताया गया है कि महाराष्ट्र के कुल बजट में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए केवल ४.२ फीसदी फंड का प्रावधान किया गया है, जो अपर्याप्त है। इस मामले में महाराष्ट्र देश के आखिरी राज्यों में दूसरे पायदान पर है। संस्था द्वारा किए गए सर्वे में राज्य के मौजूदा हेल्थ सिस्टम को १०० में से केवल २३ अंक मिले हैं, जो आम जनता की चिंताओं को बढ़ा रहा है। दूसरी तरफ रिपोर्ट कार्ड में निजी अस्पतालों के विनियमन पर भी सवाल उठाए गए हैं।
जन आरोग्य अभियान ने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में महाराष्ट्र सरकार के प्रदर्शन का मूल्यांकन करके एक रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में सरकार का खराब प्रदर्शन पाया गया है, जिसमें बहुत ही सीमित सुधार किए गए हैं। इसके साथ ही मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए निजी अस्पतालों को विनियमित करने में कमी भी देखी गई है। इसके साथ ही जन आरोग्य अभियान ने मौजूदा कमियों को देखते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था में बुनियादी बदलाव की मांग की है। स्वास्थ्य क्षेत्र में महाराष्ट्र सरकार के प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड प्रमुख १० स्वास्थ्य सेवाओं और मानदंडों के आधार पर तैयार किया गया है। कुल १०० अंकों में से प्रत्येक क्षेत्र के लिए १० अंक तय कर सरकार के प्रदर्शन का आकलन किया जाता है। इसके तहत घाती सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रदर्शन के लिए १०० में से केवल २३ अंक प्राप्त हुए हैं।
अपर्याप्त स्वास्थ्य बजट
महाराष्ट्र में कुल राज्य बजट का केवल ४.२ फीसदी फंड स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निर्धारित किया गया है। इसके अलावा कर्मचारियों की भारी कमी भी बताई गई है। देश में महाराष्ट्र सरकारी अस्पतालों में बेडों की संख्या के मामले में भी १३वें स्थान पर है। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर बहुत कम खर्च किया गया है, जो बजटीय राशि का केवल २१ फीसदी है।

 

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