सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में वयस्कों के लिए टीबी टीकाकरण के प्रयास शुरू हो गए हैं, लेकिन मुंबई में जहां टीबी के सबसे अधिक केस पाए जाते हैं, अभी तक यहां कुछ भी काम नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि कई स्वास्थ्य स्वयंसेवकों को उनके द्वारा किए गए काम का मेहनताना नहीं दिया गया है, जिसकी वजह से टीकाकरण का काम महीनों से रुका हुआ है। पारिश्रमिक को लेकर बीएमसी और सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों के बीच विवाद चल रहा है। कई महीनों के बाद भी इसे लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया है। राज्य का लक्ष्य नवंबर तक मुंबई को छोड़कर सभी जिलों में ३० लाख लाभार्थियों को टीका लगाना है। वर्तमान में टीबी के लिए बीसीजी (बैसिलस वैâलमेट-गुएरिन) का टीका जन्म के समय या जन्म के पहले वर्ष के भीतर ही लगाया जाता है। मुंबई में वयस्क को बीसीजी टीकाकरण प्रक्रिया का पहला चरण १२ वॉर्डों में अप्रैल के लिए निर्धारित था, लेकिन यह अनिश्चित काल के लिए विलंबित हो गया है। इस बारे में एक स्वयंसेवक ने कहा कि हमने अपना काम समय पर पूरा करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए, लेकिन कई महीनों बाद भी पारिश्रमिक हमारे बैंक खातों में जमा नहीं हुआ है। हमने अप्रैल में बीसीजी सर्वेक्षण का बहिष्कार करने का पैâसला किया था और अब यह बीएमसी की जिम्मेदारी है कि हमारे भुगतान जारी किए जाएं। वहीं मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने कहा कि सर्वेक्षण के लिए भुगतान पहले से ही चल रहा है, लेकिन सीएचवी अभी भी बीसीजी सर्वेक्षण शुरू करने से इनकार कर रहे हैं।