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हाई कोर्ट ने दी शिक्षकों को राहत …एमईपीएस एक्ट में संशोधन की सिफारिश

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत ६,१३,१८१ शिक्षक और ७३,३१४ गैर शिक्षण कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को महाराष्ट्र कर्मचारियों के निजी स्कूल (एमईपीएस) एक्ट, १९७७ में संशोधन करने की सिफारिश की है, ताकि इन कमचारियों को सेवानिवृत्ति लाभ और अन्य सुरक्षा प्राप्त हो सकें। यह आदेश शंकर गोपाल उमरानी द्वारा दायर एक याचिका पर आया, जिन्होंने सोलापुर के सिटी हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक के रूप में सेवानिवृत्ति लाभ से वंचित होने के खिलाफ अदालत में मामला दायर किया था। उमरानी को १९७७ में सहायक शिक्षक से प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति मिली थी, लेकिन २०१४ में स्कूल प्रबंधन के आंतरिक विवाद और विभागीय जांच के बाद उनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी।
उमरानी ने स्कूल ट्रिब्यूनल से अपील की थी और ३ मई २०१७ को ट्रिब्यूनल ने उनकी बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया, क्योंकि जांच में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ था। बाद में २०१८ में अदालत ने आदेश दिया कि जांच फिर से शुरू की जाए, लेकिन उमरानी को निलंबित रहते हुए जीवनयापन भत्ता मिलने की बात की गई। उमरानी ३१ मार्च २०२१ को सेवा निवृत्त हो गए। लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उमरानी ने अदालत में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने एमईपीएस एक्ट में ऐसे मामलों के लिए कोई प्रावधान न होने का हवाला दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने उमरानी को राहत दी और कहा कि इस प्रकार के कर्मचारियों के लिए एमईपीएस एक्ट में संशोधन की जरूरत है ताकि उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त हो सके और ऐसी स्थितियों में उन्हें न्याय मिल सके।

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