भूले नहीं, हर किसी को है नींद का अधिकार
सामना संवाददाता / मुंबई
रात में सोने का अधिकार सभी को दिया गया है। रात में सोने की इजाजत नहीं देना मौलिक अधिकार को कुचलने के समान है ऐसा कहते हुए हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को फटकार लगाई है। रात्रि के समय बयान रिकॉर्ड न करें। जवाब कब रिकॉर्ड करना है इसके लिए समय नियम बनाएं। ऐसा सर्वुâलर जारी करने का आदेश न्यायालय ने ईडी को दिया है।
जस्टिस रेवती मोहिते-ढेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जवाब दाखिल करने के लिए समन भेजते समय वक्त का भी जिक्र करें। कोर्ट ने ईडी से सर्वुâलर में इसे स्पष्ट करने को भी कहा है। खंडपीठ ने इस आदेश के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी कोर्ट को देने के लिए कहा है और अगली सुनवाई ९ सितंबर २०२४ तक के लिए स्थगित कर दी।
बयान दर्ज करना न्यायिक प्रक्रिया
ईडी अधिकारी पुलिस नहीं हैं, अदालत ने एक मामले में स्पष्ट किया है। इसलिए यह मत भूलिए कि ईडी द्वारा बयान दर्ज करना एक न्यायिक प्रक्रिया है। पीठ ने ईडी से यह भी कहा कि जवाब दाखिल करने के लिए एक समय सीमा होनी चाहिए।
स्वास्थ्य पर परिणाम होता है इसका रखें ध्यान
रात के समय नींद आना। आंखों का बार-बार बंद होना एक सामान्य क्रिया है। अगर आप रात में पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो इसका असर आपकी सेहत पर जरूर पड़ता है। मानसिक क्षमता और मौखिक कौशल क्षीण हो सकते हैं।