– भाजपा की तोड़-फोड़ और केंद्र की तानाशाही से जनता त्रस्त
– ठगी हुई महसूस कर रही आम जनता, अबकी बार देगी जवाब
हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के विचारों को अपना ध्येय माननेवाले कट्टर शिवसैनिक अनिल देसाई को शिवसैनिकों की मांग पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष की ओर से दक्षिण-मध्य मुंबई लोकसभा सीट का टिकट दिया गया है। इस क्षेत्र में मराठी, हिंदी भाषी और दक्षिण भारतीय सहित दलित समाज का बोलबाला है। इस सीट पर शिवसेना के जोशी सर (पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी) सांसद रह चुके हैं। पिछले दो बार से शिवसेना के खाते में यह सीट रही, लेकिन शिवसैनिकों ने पिछले लोकसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट से जिसे चुना था, वह शिवसेना के साथ गद्दारी कर शिंदे गुट में जा मिला है। जिसे लेकर क्षेत्र के शिवसैनिकों में काफी नाराजगी देखी जा रही है, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ क्षेत्र की जनता खड़ी नजर आ रही है। पिछले ५ वर्षों में क्षेत्र के तमाम विकास कार्य प्रभावित हुए हैं। आम जनता की समस्याओं को हल करने की बजाय केंद्र और राज्य सरकार तोड़-फोड़ की राजनीति में व्यस्त नजर आई। क्षेत्र के मुद्दों सहित तमाम विषयों पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रत्याशी अनिल देसाई से `दोपहर का सामना’ के संवाददाता रामदिनेश यादव ने खास बातचीत की। पेश हैं कुछ प्रमुख अंश।
शिवसेना से गद्दारी करनेवाले गुट से क्षेत्र के लोग काफी नाराज हैं। क्या आप तक भी कोई शिकायत आई है?
शिवसेना से गद्दारी करने वालों से इस लोकसभा क्षेत्र के अलावा पूरे महाराष्ट्र की जनता नाराज है। उनके द्वारा क्षेत्र के विकास में कोई योगदान नहीं होने से उसके खिलाफ लोगों में तीव्र आक्रोश है। मुंबई एक ऐसा शहर है, जहां लोग मेहनत कर अपना घर चलाते हैं। पति-पत्नी मिलकर काम करते हैं। मेहनत करते हैं और सरकार को टैक्स भी भरते हैं। ऐसे लोगों की अपेक्षाएं सरकार से अलग होती हैं, लेकिन जो लोग मेहनत करते हैं पर टैक्स नहीं भर पा रहे हैं वे गरीब और मध्यमवर्गीय लोग भी अपने परिवार और बच्चों को बेहतर परवरिश देने की कोशिश करते हैं। वे लोग सोचते हैं कि सरकार उनके विकास में क्या योगदान दे रही है। उस मामले में सरकार से आम लोग अचंभित हैं। सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है, लेकिन अब तक वास्तव में लोगों तक सरकार का लाभ पहुंच नहीं पाया है, जिसे लेकर लोगों में नाराजगी है। क्षेत्र के सांसद का काम होता है कि वे क्षेत्रीय जनता को केंद्र सरकार की योजनाओं से जोड़ने का प्रयास करें पर हमारे क्षेत्र में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। लोगों में शिंदे गुट के खिलाफ नाराजगी है।
देश में ब़ढ़ी महंगाई, बेरोजगारी पर आपकी क्या राय है?
महंगाई तो बहुत बढ़ गई है। लोगों में एडजस्ट करने की क्षमता अब जवाब दे रही है। लोग खुद को कितना एडजस्ट करें, खुद को एडजस्ट करते-करते लोग परेशान हो गए हैं। मध्यमवर्गीय समाज के साथ-साथ उच्च दर्जे के लोग भी इस महंगाई से त्रस्त हैं। बेरोजगारी की बात करें तो आज युवाओं को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है। आज रोजगार है, कल का कोई ठिकाना नहीं है। यह भयानक स्थिति लोगों के सामने है, इस भयानक स्थिति को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। सिर्फ बयानबाजी से काम नहीं चलेगा, अब जनता पूछ रही है कि १० सालों में केंद्र सरकार ने कहां, किसे और क्या रोजगार दिया है? आज डॉलर के दाम बढ़ते जा रहे हैं, रुपया लुढ़कता जा रहा है। पेट्रोल-डीजल के भाव अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कम हुए, तब सरकार ने कहा कि उसका लाभ हम जनता को देंगे, लेकिन जनता को इसका कोई लाभ नजर नहीं आया है। कहां लगाया वह पैसा, जनता सवाल पूछ रही है?
क्षेत्र में कौन-कौन सी समस्याएं हैं, जिनको पिछले सांसद ने नजरअंदाज किया है?
क्षेत्र में प्रदूषण बड़ा मामला है। एसआरए योजना में गड़बड़ी, हालात ये हैं कि एसआरए योजना को लोग अब होरिजेंटल नहीं बल्कि वर्टिकल झोपड़पट्टी कहने लगे हैं। पहले झोपड़ियां ख़ड़ी हुआ करती थीं, अब वह वर्टिकल झोपड़पट्टी में तब्दील हो गई हैं। यहां पर भी लोगों को बिजली, पानी आदि मूलभूत सुविधाएं देनी होंगी, जो पिछले सांसद की ओर से बहुत जगह पर नहीं मिली हैं। लोगों को एक गड्ढे से निकालकर दूसरे गड्ढे में डाल दिया जाता है। यह विकास नहीं है। सरकारी अस्पतालों का हाल वही है, वहां पर दवाइयां नहीं हैं, बेड नहीं हैं, आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं, स्वच्छता नहीं है, तमाम समस्याएं हैं। जबकि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते लोगों के प्रति दायित्व होता है।
आपको लोग अपना मानकर गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं क्या खास कारण है?
पहली चीज है कि मैं यहां से ही हूं, लोगों का अपना हूं और लोगों से हमेशा जुड़ा रहा हूं। मैं शिवसेना भवन में काफी समय से काम कर रहा हूं, मै कोई और नहीं यहीं के लोगों का बेटा हूं। और हां, मेरे लिए हर चुनाव एक चुनौती है, झूठा वादा करने से काम नहीं चलता है। मतदाताओं को अपना बनाना पड़ता है, उनकी समस्या सुननी पड़ती है। पिछले सांसद के चलते आज की जो स्थिति है। उससे य्ाहां के मतदाता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने जो वोट दिया था, उसका सही उपयोग नहीं हुआ। उन्हें लगता है उनका महत्व सिर्फ वोट देने तक रखा गया और बाद में उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। जिस तरह से पिछले ढाई-तीन सालों में राज्य में राजनीतिक समीकरण बदले हैं यहां पर शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस के साथ तोड़-फोड़ की राजनीति की गई है। जिन्हें लोगों ने वोट दिया, वे दूसरी तरफ जाकर खड़े हो गए हैं, इससे लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। मतदाताओं के दिल पर चोट लगी है। इस बार लोगों में जो चीढ़ है, नाराजगी है। उससे लोग यह सोचकर मतदान करेंगे कि उनके मतदान का सदुपयोग होगा।
आपके चुनाव क्षेत्र में ७० प्रतिशत झोपड़पट्टी इलाके हैं और इनका विकास अब तक नहीं हो पाया है, क्या कहेंगे आप?
केंद्र सरकार की यहां जमीन है। डिफेंस की है, रेलवे, नेवल डॉक विभाग की जमीन है, कुछ कलेक्टर लैंड हैं, जहां पर अतिक्रमण हुआ है। पिछले कई दशक से वहां झोपड़ियां हैं। यह सरकार बड़े-बड़े आंकड़े पेश कर रही है कि गरीबों के सिर पर हम पक्की छत दे रहे हैं। जब आप कहते हैं कि हम हर घर पर पक्की छत देंगे तो ये लोग पिछले १० सालों में क्यों छूट गए। यहां के लोगों का विकास क्यों नहीं हो पाया? ऐसा नहीं है कि यहां के लोग खुश हैं। आपके सामने लोग परेशान हैं, ऐसे लोगों के लिए विचार कब होगा? ऐसे लोगों को न्याय कब मिलेगा? मुंबई जैसे महानगर में कई लाख गरीब लोग हैं, जिनके सिर पर पक्की छत नहीं। इस सरकार को १० साल तो हो गए हैं।
ईडी, सीबीआई से आपको डर नहीं लगता?
भाजपा के साथ युति में हमने सिर्फ नुकसान झेला है। भाजपा को जो समर्थन दिया था हमें लगा था राज्य में बहुत कुछ सुधार होगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, बल्कि हमारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। हमारी अपेक्षा को उन्होंने निराशा में बदल दिया। हमारी क्या समस्या थी, इस पर किसी ने विचार नहीं किया और हमारी मांगों पर भी अमल नहीं हुआ। ऐसे में वह ठीक नहीं था, अलग होना ही हमारे लिए बहुत बेहतर था। अब जब हम उनसे अलग होकर जनहित की बातें कर रहे हैं तो वे ईडी, सीबीआई का सहारा लेकर हमें परेशान कर रहे हैं। यह अब तो जगजाहिर हो चुका है कि जिसने भी उनके खिलाफ बोला है, उनकी गलतियों पर उंगली उठाई है। इनकी जांच एजेंसियों उसके पीछे लग जाती हैं। कहने को तो ईडी, सीबीआई स्वतंत्र संस्थान हैं, लेकिन साफ दिखता है कि इनका हस्तक्षेप उस पर पूरी तरह से है। विपक्ष को ज्यादा टारगेट किया जा रहा है, लेकिन उन्हें बता देना चाहता हूं कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।
चुनाव जीतने के बाद आपकी क्या प्राथमिकता होगी?
देखिए, मैं हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का सिपाही हूं। उन्होंने जनप्रतिनिधि वैâसा हो, उस पर एक सिद्धांत बनाया है। जिसके अनुसार जनता के बीच का चुना हुआ जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं के निवारण के लिए संघर्ष कर उन्हें न्याय दिलाए। यदि वह विपक्ष में है तो भी सत्ता के खिलाफ संघर्ष कर उन्हें न्याय दिलाए। मैं उनके सिद्धांतों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुझ पर विश्वास जताया है। उनके मार्गदर्शन में हम सभी सफल होंगे। उद्धव ठाकरे और शिवसैनिकों की आवाज बनकर काम करूंगा।