बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। बांग्लादेश में हिंसक हमलों से हिंदू समुदाय त्रस्त हैं और अंतरिम यूनुस सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। ऐसा लग रहा है कि वहां की पुलिस और फौज दोनों उपद्रवियों का साथ दे रही है। पिछले कई दिनों से उपद्रवी हिंदू-देवी देवताओं के मंदिरों में तोड़फोड़ कर आगजनी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। घरों में घुसकर हत्या कर रहे हैं। महिलाओं से रेप किए जा रहे हैं। हिंदुओं पर जुल्म पर जुल्म हो रहे हैं और हमारे भारत के पीएम नरेंद्र मोदी मौन धारण किए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर अब हिंदुस्थान में यह मांग उठ रही है कि सरकार बांग्लादेश में सेना भेजकर वहां के हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक की मांग की है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी मोदी से बांग्लादेश मामले में सीधा दखल देने की अपील की थी।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने केंद्र सरकार को दो टूक कह दिया है। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश को दूसरी भाषा में समझाने का वक्त आ गया है। इस बीच एक न्यूज चैनल द्वारा किए गए सर्वे में यह साफतौर पर देखा गया कि हिंदुस्थान के लोग बंग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार से काफी गुस्से में हैं। सर्वे में यह बात सामने आई कि ४० फीसदी भारतीयों का कहना है कि बांग्लादेश में सीधे सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए, तभी बांग्लादेश की अक्ल ठिकाने आएगी। भारत में मांग उठ रही है कि सरकार बांग्लादेश में सेना भेजकर वहां के हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से बांग्लादेश मामले में सीधा दखल देने की अपील की थी। ममता ने पश्चिम बंगाल विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार के लोग रहते हैं, वहां पर हमारे करीबी लोगों की संपत्तियां हैं।
बेशर्म बांग्लादेश ने अब माना
`हां, हिंदुओं पर जुल्म हुआ’
बांग्लादेश में जब तक शेख हसीना की सरकार थी, तब तक हिंदू सेफ थे। मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही हिंदुओं पर हमले होने लगा। हिंदुओं को टारगेट किया जाना लगे। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक यानी हिंदू होना गुनाह हो गया। बांग्लादेश में हिंदुओं पर खूब अत्याचार हुए। इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी, मगर ढीठ बांग्लादेश अब तक चुप रहा। जब भारत ने कड़ा एतराज जताया और गर्दन मरोड़ी तब जाकर सच बोलने पर बांग्लादेश मजबूर हुआ। जी हां, बांग्लादेश ने शेख हसीना के हटने के बाद अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की ८८ घटनाएं मानी हैं।